चिडिय़ाघर के कार्यकारी निदेशक अजीत कुलकर्णी ने बताया कि निर्माण कार्य दो जनवरी से शुरू होकर 15 फरवरी तक समाप्त होना था, लेकिन पर्यटकों की भारी संख्या को देखते हुए निर्माण पूरा किए जाने की अवधि में परिवर्तन किया गया। दो मार्च तक निर्माण कार्य समाप्त होने की उम्मीद है।
चिडिय़ाघर के निकास द्वार को भी बंद किया गया है। जिराफ के बाड़ों के समीप अस्थाई निकास द्वार की व्यवस्था की गई है। कुलकर्णी ने बताया कि भूमिगत मार्ग में रोशनी की विशेष व्यवस्था होगी। बारिश के दिनों में यहां पानी नहीं जमे इसकी व्यवस्था भी होगी। भूमिगत मार्ग की दीवारों पर भित्ति चित्रों के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण का संदेश दिया जाएगा।