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ई-कामर्स की धमक के बीच बढ़ रहा सोशल कामर्स का जलवा

locationबैंगलोरPublished: Nov 10, 2021 10:08:33 pm

Submitted by:

Jeevendra Jha

वर्चुअल कारोबार : सेलर्स ग्राहकों तक पहुंचने के लिए सोशल कामर्स का ले रहे सहारा

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बेंगलूरु. पिछले कुछ सालों के दौरान ई-कामर्स के समानांतर नया मार्केट प्लेस तेजी से उभर रहा है। सोशल मीडिया और मैसेंजिंग ऐप के माध्यम से वर्चुअल कारोबार में पैर जमा रहे इस प्लेटफार्म पर तकनीकी समझ रखने वाला कोई भी व्यक्ति बिना बड़ी पूंजी निवेश के कारोबार शुरू कर सकता है।
कोरोना के बाद उपजी स्थिति में सोशल कामर्स का मॉडल तेजी से उभरा। खासकर, अद्र्ध शहरी और शहरी इलाकों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी। हालांकि, बड़े शहरों में ई-कामर्स का ही जलवा रहा। पिछले दो साल के दौरान कई सोशल कामर्स प्लेटफार्म यूनिकार्न श्रेणी में आ गए और ये ई-कामर्स प्लेटफार्म को भी चुनौती दे रहे हैं। बाजार में स्थापित ई-कामर्स के दिग्गज खिलाड़ी भी सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं।
वैश्विक दिग्गज भी कर रहे निवेश
सोशल कामर्स में वैश्विक दिग्गज भी निवेश बढ़ा रहे हैं या निवेश की तैयारी में हैं। गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियां भी भारतीय सोशल कामर्स प्लेटफार्म में निवेश कर रही हैं। पिछले महीने एक प्रमुख अमरीकी सोशल कामर्स मार्केटप्लेस ने भारत में कारोबार शुरू करने की घोषणा की।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म की हिस्सेदारी ज्यादा
एक नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिकसोशल कामर्स में 65त्न हिस्सेदारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म और ऐप की है। बाकी 35त्न ई-कामर्स आधारित सोशल कामर्स मार्केटप्लेस की। पिछले कुछ सालों में उभरे स्थानीय ऐसे मार्केटप्लेस भी तेजी से स्थान बना रहे हैं।
चीन में कामयाब रहा है मॉडल
चीन में सोशल कामर्स का मॉडल कामयाब रहा है और अब यह भारत में भी बढ़ रहा है। छोटे प्लेटफार्म उत्पाद खरीदने के साथ ही उसे फिर से बेचने की सुविधा भी देते हैं।
स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता
वोकल फॉर लोकल प्लेटफार्म ज्यादातर कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन, घरेलू उपयोग की सामानों, फैशन एसेसरीज, फुटवियर आदि में व्यापार करते हैं। इनमें से कुछ प्लेटफार्म किराने व फल-सब्जियों के कारोबार से भी जुड़े हैं।
सोशल मीडिया नेटवर्क सहारा
सोशल मीडिया का नेटवर्क सहारा के सहारे चलने वाले सोशल कामर्स में ग्रुप या कम्युनिटी बाइंग, रिसेलर, वीडियो कामर्स जैसे कई मॉडल हैं। महिलाएं ऐसे मार्केटप्लेसों की सबसे बड़ी ताकत हैं, विक्रेताओं में भी इनकी संख्या ज्यादा है।
चुनौतियां कम नहीं
सोशल कामर्स प्लेटफाम्र्स के लिए लेनदेन के आकार को बढ़ाना बड़ी चुनौती है। आर्डर आकार कम होने के कारण इन कंपनियों को चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। औसतन एक आर्डर का आकार 250 से 500 रुपए के बीच का होता है। देश में सोशल कामर्स का मौजूदा आकार 800 करोड़ डॉलर का है, जो वर्ष 2025 तक 2 हजार करोड़ डॉलर और वर्ष 2030 तक 6 से 7 हजार करोड़ डॉलर का हो जाने का अनुमान है।
सोशल कामर्स अभी शैशवस्था में है मगर विपुल संभावनाओं से भरा है। यह ऑनलाइन शॉपिंग और सोशल मीडिया का सामंजस्य है। जिस तरह सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ रहा है उससे काफी संभावनाएं हैं।
अंकुर पहवा, विश£ेषक, अर्नेस्ट एंड यंग इंडिया

सोशल कामर्स की अवधारणा पहले भी समाज में थी। अब यह डिजिटल प्लेटफार्म पर हो रहा है। इसमें भरोसा और संवाद ही आधार है। ई-कामर्स की तुलना में क्रेता-विक्रेता यहां बातचीत, मोलभाव कर सकते हैं।
– ज्योति सुनंदा, सोशल कामर्स मार्केटप्लेस सेलर
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