scriptजरा सी गफलत और बढ़ गई आवारा कुत्तों की संख्या | Number of stray dogs increased in city | Patrika News

जरा सी गफलत और बढ़ गई आवारा कुत्तों की संख्या

locationबैंगलोरPublished: Aug 30, 2019 08:17:45 pm

कुछ संस्थानों पर लगा गैर पेशेवर तरीके का आरोप
कुछ संस्थानों ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा

जरा सी गफलत और बढ़ गई आवारा कुत्तों की संख्या

जरा सी गफलत और बढ़ गई आवारा कुत्तों की संख्या

बेंगलूरु. प्रजनन काल से पूर्व आवारा कुत्तों की नसबंदी नहीं होने से शहर में इनकी संख्या बढऩे की आशंका है। यह सब बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की गफलत के कारण हुआ है।

पालिका के पशुपालन विभाग के चिकित्सक डॉ. शशिकुमार ने बताया कि नसबंदी की जिम्मेदारी लेने वाले संस्थानों की ठेका नवंबर २०१८ में ही समाप्त हो गया। पशु प्रेमियों ने आरोप लगाया था कि इससे पहले ठेका लेने वाले कुछ संस्थानों ने पेशेवर तरीके से जिम्मेदारी नहीं निभाई। इसलिए कुछ संस्थानों का ठेका रद्द किया गया। कुछ संस्थानों ने खुद अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया। पालिका ने नसबंदी के लिए फरवरी २०१९ को नई निविदाएं आमंत्रित की। मगर चुनाव आचार संहिता, स्वयंसेवी संगठनों की अनिच्छा और निविदा आमंत्रित करने के ई-प्रोक्यूरमेंट पोर्टल में गड़बड़ी जैसी कई प्रतिकूल परिस्थितियां बन गईं। हालांकि अब पालिका के सात क्षेत्रों में नसबंदी करने वाले संगठनों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया है।
बोम्मनहल्ली क्षेत्र के लिए निविदा दाखिल करने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है, इसके लिए फिर से प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा कि कुल १५ संस्थानों ने निविदा दाखिल की।

६ साल में ६० बच्चों को जन्म देती है एक जोड़ी
डॉ. शशिकुमार ने बताया कि कुत्ते पैदा होने के १० माह बाद ही प्रजनन में सक्षम हो जाते हैं। गर्भधारण के बाद जन्म देने की अवधि केवल ६४ दिनों की होती है। कुत्ते साल में दो बार प्रजनन करते हैं। आवारा कुत्तों की एक जोड़ी (नर-मादा) छह साल में ६० कुत्तों को जन्म देती है। जून और जुलाई में प्रजनन काल होता है। इससे पहले नसबंदी की जानी थी, लेकिन इसका अवसर पालिका ने खो दिया है।
इसी कारण इस साल आवारा कुत्तों की संख्या अधिक होने वाली है। फिर भी ऐहतियात के तौर पर निविदा प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बावजूद पहले से जिम्मेदारी लेने वाले संस्थानों को ही यह जिम्मेदारी अस्थायी रूप से दी गई है। पालिका ने एक कुत्ते की नसबंदी के लिए १२०० रुपए और रेबीज रोकथाम के लिए १५० रुपए भुगतान किया है।
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