scriptउपनगरीय रेल सेवा की राह में जमीन नहीं मिलने की बाधा | Obstacle of getting land in the direction of suburban rail service | Patrika News

उपनगरीय रेल सेवा की राह में जमीन नहीं मिलने की बाधा

locationबैंगलोरPublished: Oct 06, 2018 07:20:59 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

बिन्नी मिल भूमि अधिग्रहण पर सरकार के बदले बोल

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उपनगरीय रेल सेवा की राह में जमीन नहीं मिलने की बाधा

बेंगलूरु. सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को उन्नत करने के लिए बेंगलूरु उपनगरीय रेल सेवा की दीर्घ लंबित मांग पूरी करने की प्रक्रिया मंथर गति से चल रही है। समय बीतने के बाद भी राज्य सरकार अब तक रेलवे को बिन्नी मिल की जमीन उपलब्ध कराने पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है।
उपगनरीय रेल सेवा के परिचालन के लिए रेल ढांचागत सुविधाओं के उन्नयन की जरूरत है। राज्य सरकार द्वारा उपगनरीय रेल सेवा आरंभ करने की मांग के बाद दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) ने राज्य सरकार से बेंगलूरु सिटी रेलवे स्टेशन के पास स्थित बिन्नी मिल की 10 एकड जमीन देने की मांग की थी।
दपरे ने यह मांग वर्ष-2012 में रखी लेकिन भूमि हस्तांंतरण का मामला अब तक फाइलों में दबा है। पिछले वर्ष-2017 में राज्य सरकार ने रेलवे से उपनगरीय रेल परियोजना के लिए एक करार किया था जिसके तहत मेमू ट्रेनों के रखरखाव के लिए बाणसवाड़ी में जमीन उपलब्ध कराई जानी है। बाणसवाड़ी में एनजीइएफ की 40 एकड़ जमीन रेलवे को दी जानी है जहां रखरखाव एवं मरम्मत शेड बनेगा लेकिन एक वर्ष बीतने के बाद भी भूमि हस्तांंतरण का काम अब तक नहीं हुआ है।
दपरे के अधिकारियों का कहना है कि दोनों जगहों पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पर राज्य सरकार ने लम्बे अरसे से कोई वार्ता नहीं की है।
सीमित संसाधनों के बीच रेलवे करीब 100 उपनरीय रेलों का परिचालन कर रही है लेकिन अगर अब इनकी संख्या बढ़ाई जाती है तो इससे लंबी दूरी की ट्रेनों के नियमित परिचालन पर असर होगा। इसलिए उपनगरीय रेल सेवा को बेहतर तरीके से विकसित करने के लिए ढांचागत सुविधाओं को उन्नत करने की जरूरत है। हालांकि भूमि अधिग्रहण नहीं होने से यह परियोजना के भविष्य पर संशय के बादल घिर आए हैं।
एनजीइएफ की भूमि पर भी फंसा पेंच
सरकार ने रेलवे को बताया कि एनजीइएफ भूमि का अधिग्रहण भी फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि इसमें एक जर्मन कंपनी की 10 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं इस परियोजना के लिए केंद्र ने 29.5 करोड़ रूपए मंजूर किए थे, इसके बावजूद रेलवे को अब तक जमीन नहीं मिली है। सरकार ने अब रेलवे को कहा है कि वह व्हाइटफील्ड में वैकल्पिक भूमि की तलाश करे।
बिन्नी मिल भूमि अधिग्रहण व्यवहार्य नहीं
अगस्त-2017 में रेलवे और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में कहा गया था कि राज्य सरकार ने रेलवे से कहा था कि बिन्नी मिल की भूमि का अधिग्रहण करना व्यवहार्य नहीं होगा। पहले इसके अधिग्रहण के लिए करीब 60 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत का उल्लेख किया गया था। वर्ष-2012 में सरकार ने अधिग्रहण की बात कही थी लेकिन पांच साल बाद इसे व्यवहार्य नहीं बताकर सरकार ने पूरी परियोजना को खटाई में डालने का काम कर दिया है। बिन्नी मिल की भूमि पर उपनगीय रेल के लिए अतिरिक्त प्लेटफार्म और अन्य परिचालन सुविधाओं का निर्माण होना है। ऐसे में सरकार का यह कदम निराशाजनक है।
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