स्थानीय शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ऐसे बच्चों के अभिभावकों से भी संपर्क साध रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार कन्नड़ में शिक्षण होने से कई अभिभावक दाखिले नहीं करा रहे हैं। १३८६ अनुदानित स्कूलों में से करीब ८९० स्कूलों में एक भी बच्चे का दाखिला नहीं हुआ है।
गैर अनुदानित स्कूलों की स्थिति अच्छी है। १७७ स्कूलों में २१ स्कूल ही हैं, जिनमें एक भी बच्चा दाखिल नहीं हुआ है। लॉटरी के पहले चरण में अनुदानित स्कूलों में दाखिले के लिए ७३६३ बच्चों का चयन हुआ, लेकिन ३७ फीसदी बच्चों ने ही दाखिला लिया। गैर अनुदानित स्कूलों में दाखिले के लिए १६८६ बच्चों का नाम निकला। ८९.५६ फीसदी बच्चों का दाखिला हुआ।
प्रदेश सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए थे कि घर के पास सरकारी या अनुदानित स्कूल नहीं होने पर ही बच्चों को गैर अनुदानित निजी स्कूलों में जगह मिलेगी। जिसके बाद से आवेदनों की संख्या घटनी शुरू हो गई। क्योंकि हर अभिभावक अपने बच्चों को निजी गैर अनुदानित स्कूल में ही पढ़ाना चाहता है। शिक्षाविदों ने भी नए नियम का विरोध किया है।
गत वर्ष करीब दो लाख आवेदन की तुलना में इस वर्ष करीब १८ हजार आवेदन ही मिले हैं। सीटों की संख्या को भी १.५२ लाख से घटाकर करीब १८ हजार किया गया है।
शहर के दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेज को १५० सीटें
बेंगलूरु. शिवाजीनगर स्थित बोरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल परिसर स्थित मेडिकल कॉलेज पूरी तरह से तैयार है। इस सत्र से संचालन शुरू हो जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. पीजी गिरीश ने बताया कि भारतीय चिकित्सा परिषद ने एमबीबीएस की १५० सीटों के लिए इजाजत दी है।
शहर में यह दूसरा सरकारी मेडिकल कॉलेज होगा। इस कॉलेज पर करीब १९७ करोड़ रुपए की लागत आई है। वर्ष २०१७ में मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने इसकी आधारशिला रखी थी।