बीएनपी ने अपने वन्यजीव जांच लैब को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों सहित अन्य सुविधाओं से लैस कर दिया है। हालांकि बीएनपी को इसमें डेढ़ दशक से ज्यादा लग गया। लैब की स्थापना वर्ष 2002 में हुई थी।
बीएनपी में पुनर्वास व बचाव केंद्र भी है। बचाव अभियान के बाद यहां लाए जाने वाले 90 फीसदी से भी ज्यादा वन्यजीव घायल होते हैं। आधुनिक मशीनों के अभाव में पशु चिकित्सकों को उपचार में दिक्कत हो रही थी।
पशु चिकित्सक डॉ. मंजूनाथ ने बताया कि वन्यजीव जब बीमार पड़ते थे तो उनके मूत्र, मल और रक्त सहित शरीर के अन्य नमूनों को जांच के लिए बीएनपी से बाहर भेजना पड़ता था। रिपोर्ट के इंतजार में असल उपचार में देरी होती थी। लैब में एलिसा रीडर, जैव सुरक्षा कैबिनेट, पॉलीमर चेन रिएक्शन उपकरण सहित मूत्र व रक्त विश्लेषक आदि मशीन आ जाने से सारी समस्याएं एक साथ दूर हो गईं हैं।
लैब अब आत्मनिर्भर हो गया है। बीएनपी ही नहीं आसपास के जंगलों में घायल अवस्था में मिल अन्य वन्यजीवों को भी इस लैब का लाभ मिलेगा।