Karnataka भर में कुल 6,479 निजी सहायता प्राप्त स्कूल हैं, जिनमें वर्तमान में 33,748 शिक्षक कार्यरत हैं। सरकार ने हाल ही में इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए रिक्त पदों को भरने की अनुमति दी है।
भ्रष्टाचार के आरोप दरअसल, भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर, उम्मीदवारों ने स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीएसइएल) को एक याचिका प्रस्तुत कर सरकारी भर्तियों के लिए अपनाए गए पैटर्न के अनुसार ऑनलाइन आवेदन प्रणाली की मांग की थी।
रिक्त पदों की पूरी जानकारी नहीं दी निजी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन ने ऑनलाइन आवेदन के जरिए भर्ती पर कड़ी आपत्ति जताई है। शिक्षकों के रिक्त पदों की पूरी जानकारी देने के निर्देश के बावजूद अधिकांश शिक्षण संस्थानों ने ऐसा नहीं किया।इस बीच, डीएसइएल ने ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से शिक्षकों के पदों को भरने का फैसला किया और इस प्रक्रिया के लिए एक अलग ऐप विकसित किया।
सार्वजनिक शिक्षण विभाग के आयुक्त के.वी. त्रिलोकचंद्र ने कहा, सभी सरकारी पदों पर भर्ती ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से की जा रही है। इसलिए, विभाग ने सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षकों के पदों को भरने को पारदर्शी बनाने का फैसला कर भर्ती प्रक्रिया के लिए एक मॉड्यूल विकसित किया।उन्होंने कहा, पहले चरण में विभाग के अधिकारी निजी सहायता प्राप्त स्कूलों का पूरा ब्योरा ऐप पर दर्ज करेंगे।
पहले सहायता प्राप्त स्कूल प्रबंधन रिक्तियों की संख्या समेत सभी जानकारी केवल भौतिक दस्तावेजों के माध्यम से ही जमा करते थे। अब इन शिक्षण संस्थानों को भी रिक्तियों के विवरण समेत सभी जानकारी ऐप में दर्ज करनी होगी। इन सभी विवरणों की पुष्टि करने के बाद हम पदों को भरने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करने के लिए नोटिस जारी करेंगे।
निजी स्कूल लॉबी के आगे झुकना नहीं चाहिए एक अभ्यर्थी ने कहा, इससे पहले जब सरकार ने पदों को भरने की अनुमति दी थी, तो संबंधित सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों ने रिक्त पदों के बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी की, आवेदन आमंत्रित किए और उन्हें अपनी इच्छानुसार पदों को भरने की अनुमति दी। हालांकि, इन पदों को भरने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। सरकार को निजी स्कूल लॉबी के आगे झुकना नहीं चाहिए और योग्य उम्मीदवारों को पद उपलब्ध कराने चाहिए।