सत्संग ही अच्छे या बुरे संस्कार डालता है-आचार्य चन्द्रयश
बैंगलोरPublished: Sep 17, 2021 07:51:04 am
धर्मसभा
सत्संग ही अच्छे या बुरे संस्कार डालता है-आचार्य चन्द्रयश
बेंगलूरु. सिद्धाचल धाम में विराजित आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने कहा कि जीवन को महान बनाना है तो हमें सत्संग अच्छा रखना होगा। प्रसिद्ध कहावत है कि संग जैसा रंग। मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान उसकी संगति से होती है। संगति के अनुसार ही उसके अच्छे या बुरे जीवन का निर्माण होता है। बालकों का मन बाल्यकाल में स्वच्छ व शुद्ध होता है, जैसे स्लेट में हम जो चाहे वह लिख सकते हंै। वैसा ही बालक का मन है और उसका सत्संग ही उसमें अच्छे या बुरे संस्कार डालता है। अगर सत्संग अच्छा होगा तो ही वह आगे चलकर महान बन सकता है। अत: हमें बालकों के प्रति सावधानी बरतनी होगी। वर्तमान में तो इतना विषम काल है कि अगर हमने अच्छे संस्कार नहीं डाले तो उनका भविष्य विनाशकारी है। क्योंकि संगति का असर जीवमात्र पर पड़ता है। जैसे नदी का शुद्ध व निर्मल जल समुद्र में मिलने से खारा बन जाता है, एक सड़ा हुआ आम सारे आम को खराब कर देता है। ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण हमारे समक्ष हैं। परन्तु क्या हम जागृत हैं जिस प्रकार कुशल वैद की संगति से विष भी अमृत का काम करने लगता है। उसी प्रकार सज्जनों की संगति से एक अधोगामी आत्मा का भी उत्थान हो जाता है। आचार्य ने कहा कि जीवन में सज्जन पुरुषो का संग करना चाहिए और दुर्जनों के संग का त्याग करना चाहिए। दुर्जनों की दोस्ती हमारे जीवन को पतन की खाई में गिरा देगी।