केंपेगौड़ा लेआउट का विवाद न्यायालय के बाहर सुलझाने का प्रयास: विश्वनाथ
किसानों जमीन के दाम का भुगतान नहीं किया गया

बेंगलूरु. नाडप्रभु केंपेगौड़ा लेआउट के लिए बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा भूमि अधिग्रहण और भुगतान का मामला न्यायालय से बाहर निपटने की संभावना है। बीडीए अध्यक्ष एसआर विश्वनाथ इस मामले में किसानों को विश्वास में लेने में सफल रहे हैं।
उन्होंने सूलेकेरे गांव में किसानों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि गत 15 साल से अभी तक लेआउट निर्मित नहीं हुआ। इसके लिए कई हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई है। बीडीए की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से किसानों जमीन के दाम का भुगतान नहीं किया गया था। इसलिए किसानों ने उच्च न्यायालय याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने बीडीए को आदेश दिया है कि पहले किसानों को उनके पैसे का भगतान किया जाए, उसके बाद ही ले आउट निर्मित करें।
इसी कारण ले आउट का निर्माण कार्य लंबित है।उन्होंने कहा कि कन्नाहल्ली, आर्चकाराहल्ली, सूलेकेर, श्रीगंधदा कावलू और बन्देमचाहल्ली के किसानों से चर्चा कर इस विवाद को न्यायालय के बाहर निपटाने का प्रयास जारी है। नब्बे फीसदी किसान इसके लिए राजी हो गए हैं। किसानों को किस्तों में रकम देने का लिखित आश्वासन दिया जाएगा। कैंपेगौड़ा लेआउट के दो चरणों में भूखंड वितरित दिए गए हैं।
तीसरे चरण में भूखंड इस साल दिसंबर में दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारी किसानों का उत्पीडऩ कर रहे हैं। उन्हें तरह तरह के दस्तावेज लाने के लिए कह कर मानसिक रूप से परेशान करते हैं।उन्होंने कहा कि इस ले आउट में सात झीलें आती हंै। इन झीलों को पर्यटक क्षेेत्र का दर्जा देकर इसे विकसित किया जाएगा। हर ब्लॉक में बच्चों के लिए खेल मैदान और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
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