उन्होंने कहा कि मोह का अंत होते ही मोक्ष मिलता है। मोक्ष के लिए जिसने मोह पर प्रहार किया, उसे उपहार के रूप में सिद्घत्व की प्राप्ति होती है। संसार में संसारी जीव चार गतिरूप में देखा जाता है, लेकिन संसारातीत यदि पांचवीं कोई गति है तो वह सिद्घ गति है। अंत में आचार्य ने कहा की समग्र विश्व आज महामारी की चपेट में है, आज धर्मनाथ प्रभु के मोक्ष कल्याणक के पावन दिन परमात्मा से विश्व के सभी जीवो का कल्याण हो, सर्व जीव निरोगी रहे यही मंगलमय प्रार्थना, अभिषेक के लाभार्थी संघ के पदाधिकारी चंद्रकुमार संघवी, रूपचंद नानेशा, हीरालाल कोठारी, भूरमल गांधी दिनेशकुमार बंदा व नितिन सोनिगरा आदि परिवार उपस्थित थे। रोहित गुरु ने अभिषेक आयोजन का व्यवस्था को सम्भाला।