उपाध्याय ने बताया कि सम्यकत्व पराक्रम के 72 मार्ग बताए गए हैं जिनके माध्यम से जीवन में सत्य का पराक्रम शुरू हो सकता है। किसी भी रास्ते से कदम उठे मंजिल एक ही मिलेगी-सत्य की और सफलता की। क्योंकि एक रास्ते के साथ सारे रास्ते जुड़े हुए हैं। स्वाध्याय का सूत्र देते हुए कहा है कि वाचना-जिसका अर्थ है कि गुरू के मुख से परमात्मा के शब्दों को ग्रहण करना।
प्रवर्तना के बारे में कहा गया है कि यदि सही तरीके से किसी मंत्र को बार-बार जाप किया जाए तो उससे व्यंजन लब्धि यानि प्रकट करने की अनुभूति को व्यक्त करने की शक्ति प्राप्त होती है। अनुप्रेक्षा का अर्थ है जो हम सुनते हैं, महसूस करते है, ध्यान करते हैं उससे तुरंत मुक्त नहीं होना, बल्कि उसे थोड़ी देर तक महसूस करते रहना चाहिए।