परेशान अभिभावकों ने फिर किया प्रदर्शन
- कई अभिभावकों का मानना है कि निजी स्कूल लॉबी के दबाव में सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। धारे-धीरे बच्चों को ऑनलाइन से ऑफलाइन कक्षा के लिए बुलाया जा रहा है।

बेंगलूरु. फीस और निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ वॉइस आफ पैरेंट्स के बैनर तले रविवार को सैकड़ों अ िाभावकों ने मौर्य चौराहे पर प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि अतिरिक्त शुल्क के नाम पर अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है जबकि सरकार ने स्कूल संचालकों को केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत दी है।
एक अभिभावक ने कहा कि फीस नहीं मिलने के कारण स्कलों ने कई बच्चों को ऑनलाइन कक्षा से वंचित कर दिया है। कई स्कूलों ने 25 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को स्कूल से निकाल दिया है। शेष कर्मचारी आधे वेतन पर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। बावजूद इसके स्कूल संचालक पूरी फीस मांग रहे हैं।
एक अन्य अभिभावक ने कहा कि स्कूल संचालक ट्यूशन फीस के अलावा अतिरिक्त शुल्क वसूलने पर तुले हुए हैं। जो नए दाखिलों के साथ दूसरे, तीसरे और चौथे टर्म की फीस पर भी लागू है। शिक्षा विभाग से अपील है कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करे। शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है। फीस के अभाव में किसी भी बच्चे को स्कूल सेे निकाला या ऑनलाइन कक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है। वास्तविक वेतन और वैधानिक व्यय के आधार पर शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए फीस निर्धारित हो और फीस कम हो।
कई अभिभावकों का मानना है कि निजी स्कूल लॉबी के दबाव में सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। धारे-धीरे बच्चों को ऑनलाइन से ऑफलाइन कक्षा के लिए बुलाया जा रहा है। सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। निजी स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं।
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