ज्ञानमुनि ने कहा कि जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार मनाए जाते हैं, लगभग सभी में तप एवं साधना का विशेष महत्व है। जैनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पर्युषण महापर्व। पर्युषण पर्व आत्म जागरण का संदेश देता है और हमारी सोई हुई आत्मा को जगाता है।
कोरोना महामारी के चलते आगामी पर्युषण पर्व में आप सभी घर बैठे ज्यादा से ज्यादा धर्म आराधना करें।
डॉ. समकित मुनि ने कहा कि पर्युषण आत्मशुद्धि का पर्व है। कोरोना की इस विषम परिस्थिति में हमारा सौभाग्य है कि हमें धर्म आराधना करने का यह सुंदर अवसर प्राप्त हुआ है।
डॉ. समकित मुनि ने कहा कि पर्युषण आत्मशुद्धि का पर्व है। कोरोना की इस विषम परिस्थिति में हमारा सौभाग्य है कि हमें धर्म आराधना करने का यह सुंदर अवसर प्राप्त हुआ है।
इस अवसर का हमें सतर्क एवं सुरक्षित रह कर पूर्ण लाभ लेना चाहिए। जैन कॉन्फ्रेंस के तत्वावधान में डॉ. समकित मुनि की सद्प्रेरणा से तथा सभी संत सतिवृंद के पावन सान्निध्य में इस चातुर्मास में घर घर में “सवा लाख सामायिक महाकुंभ” का आयोजन गतिमान है। श्रावक- श्राविकाएं इस आयोजन का लाभ ले रहे हंै।
इस मौके पर अध्यक्ष महावीरचंद धोका, महामंत्री जंबुकुमार दुग्गड़, ज्ञानचंद लोढ़ा, नेमीचंद दलाल व अन्य उपस्थित थे।