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मरीजों ने पूछा कंपनी पर कार्रवाई से क्यों हिचक रही सरकार

locationबैंगलोरPublished: Nov 12, 2019 08:18:01 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्यूलर साइंसेस एंड रिसर्च के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रविंद्र की अगुवाई में मामले की जांच कर रही समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि दवा में बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। इस रिपोर्ट के बावजूद प्रदेश सरकार ने फिर से एक जांच समिति का गठन किया है। विशेषज्ञों के अनुसार दवा में खराबी थी, जिसके कारण आंखों की रोशनी गई।

मरीजों ने पूछा कंपनी पर कार्रवाई से क्यों हिचक रही सरकार

मरीजों ने पूछा कंपनी पर कार्रवाई से क्यों हिचक रही सरकार

-चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा-कंपनी को भेजा है नोटिस, कानूनी कार्रवाई में लगेगा वक्त
-मुआवजा मांग रहे हैं आंखों की रोशनी खोने वाले 22 मरीज
-मिंटो अस्पताल में कैटरक्ट सर्जरी का मामला

बेंगलूरु.

मिंटो अस्पताल (Minto Hospital) परिसर में एक नवंबर को चिकित्सकों और कर्नाटक रक्षण वेदिके (केआरवी) के कार्यकर्ताओं के बीच उपजे विवाद के बाद चिकित्सकों ने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और सुरक्षा की मांग को लेकर करीब एक सप्ताह तक प्रदर्शन किया। केआरवी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया, चंद घंटों में सभी जमानत पर बाहर भी आ गए। लेकिन इन सबके बीच उन मरीजों के साथ अब तक इंसाफ नहीं हो सका है, जिन्होंने अस्पताल में कैटरैक्ट सर्जरी के बाद आंखों की रोशनी खो दी। केआरवी के अनुसार ये वही मरीज हैं, जिनके लिए न्याय मांगने कार्यकर्ता एक नवंबर को मिंटो अस्पताल गए थे, लेकिन भाषा को लेकर सभी एक महिला चिकित्सक से उलझ पड़े।

मिंटो अस्पताल ने नौ जुलाई को अस्पताल में 24 मरीजों की कैटरैक्ट सर्जरी की थी, इसके कुछ दिन बाद मरीजों की आंखों में संक्रमण और सूजन हो गया। सभी को दिखना बंद हो गया। उपचार के बावजूद विशेष लाभ नहीं हुआ। अंतत: 22 मरीजों के आंखों की रोशनी चली गई।

जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्यूलर साइंसेस एंड रिसर्च के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रविंद्र की अगुवाई में मामले की जांच कर रही समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि दवा में बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। इस रिपोर्ट के बावजूद प्रदेश सरकार ने फिर से एक जांच समिति का गठन किया है। विशेषज्ञों के अनुसार दवा में खराबी थी, जिसके कारण आंखों की रोशनी गई।

विशेषज्ञों और मरीजों का कहना है कि जांच में तथ्य सामने आने के बावजूद सरकार संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचक रही है। दूसरी ओर पीडि़त उचित मुआवजे और कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की मांग कर रहे हैं।

एक पीडि़ता के पति के. भास्कर ने कहा कि चिकित्सकों और केआरवी की लड़ाई में मरीजों को न्याय दिलाने का मुद्दा गौण हो गया। सरकार ने तीन लाख रुपए की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। वो भी केवल 10 मरीजों के लिए, जबकि 22 मरीज प्रभावित हैं।

पीडि़त मिर्जा अली ने कहा कि सर्जरी से पहले वे स्कूल वैन चलाया करते थे। सर्जरी के बाद दाएं आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई हैं। दूसरे आंख में भी समस्या शुरू हो गई है। अली ने सरकार से पूछा है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. सीएन अश्वथ नारायण (Dr. C. N. Ashwath Narayan) ने कहा कि दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी को नोटिस जारी किया गया है। कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन ऐसे मामलों में समय लगता है। मुआवजा राशि पर विचार-विमर्श जारी है।

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