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इसरो अकादमी में तैयार हो रहा मंगल मिशन का पे-लोड

locationबैंगलोरPublished: Jul 20, 2018 08:42:47 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

शुक्र मिशन के लिए भी पे-लोड विकसित करने को तैयार

ISRO

इसरो अकादमी में तैयार हो रहा मंगल मिशन का पे-लोड

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से संचालित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान (आईआईएसटी) के छात्र मंगल आर्बिटर मिशन (मंगलयान-2) के लिए पे-लोड विकसित करने में जुटे हैं।
इसके अलावा शुक्र मिशन के लिए भी आवश्यक उपकरणों का पूर्वानुमान कर उसके लिए पे-लोड विकसित करने की तैयारी है। इन मिशनों के लिए पे-लोड का विकास आईआईएसटी के नए अंतरिक्ष उपग्रह प्रणाली एवं पे-लोड केंद्र (एसस्पेस) में किया जा रहा है। संस्थान के निदेशक वीके दधवाल ने बताया कि एसस्पेस छात्रों और संकाय को अंतरिक्ष विज्ञान और उपग्रह प्रौद्योगिकी से संबंधित विषयों में विभिन्न गतिविधियों के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा यह केंद्र अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़ी विदेशी और आईआईएसटी की संयुक्त परियोजनाओं में भी सहयोग करता है। यह केंद्र फिलहाल एक ‘आयनमंडल प्लाज्मा प्रोबÓ का विकास कर रहा है जिसका नाम ‘एरिसÓ दिया गया है। यह मंगलयान-2 मिशन के लिए विकसित किया जा रहा है। इस पे-लोड का इंजीनियरिंग मॉडल तैयार हो चुका है और उसका हाई-वैक्यूम टेस्ट भी सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।
आरपीए नामक पे-लोड तैयार करने का भी प्रस्ताव
इसके अलावा आईआईएसटी के पास एक नैनो उपग्रह और संभावित शुक्र मिशन के लिए रिटार्डिंग पोटेंनशियल एनालाइजर (आरपीए) नामक पे-लोड तैयार करने का भी प्रस्ताव है। हालांकि, अभी इस मिशन को मंजूरी मिलनी बाकी है लेकिन इस पे-लोड के लिए आईआईएसटी के छात्रों ने प्रस्ताव तैयार किया है उसे इसरो के शीर्ष अधिकारियों ने काफी प्रशंसा की है। इसके अलावा यह संस्थान कई विदेशी संस्थानों के लिए भी उड़ान सॉफ्टवेयर और उपकरण तैयार कर रहा है।
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सुखोई-30 एमकेआई से भी महंगा ‘तेजसÓ!
बेंगलूरु. स्वदेशी हल्के युद्धक (एचएएल) ‘तेजसÓ की कीमत को लेकर अब गतिरोध जैसी स्थिति बन गई है। तेजस का उत्पादन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की एकमात्र विमान निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने जो कीमत बताई है वह वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धक विमान सुखोई-30 एमकेआई की तुलना में अधिक है।
एचएएल ने अप्रेल में प्रति तेजस मार्क-1 ए विमान की कीमत 463 करोड़ रुपए बताई थी। वायुसेना और रक्षा मंत्रालय तेजस की इस कीमत को ज्यादा बता रहे हैं। इसके बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने तेजस की उत्पादन लागत की समीक्षा के लिए एक समिति गठित कर दी जिसे 6 0 दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
इस बीच, एचएएल ने तेजस मार्क-1ए की कीमत को सही ठहराया है। एचएएल के अधिकारियों के मुताबिक इस विमान में कई उन्नत फीचर होंगे जिसमें एक्टिव इलेक्ट्रोनिकली स्कैंड एर्रे (एईएसए) राडार, अतिरिक्त इलेक्ट्रोनिक युद्धक सुइट, विशेष डाटा लिंक पैकेज, सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर, उपग्रह नेविगेशन प्रणाली, उन्नत उड़ान नियंत्रक प्रणाली, उन्नत इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स प्रणाली सहित कई खूबियां होंगी।
एचएएल अधिकारियों के मुताबिक तेजस मार्क-1ए 4.5 पीढ़ी का अत्याधुनिक विमान है जिसकी तुलना चौथी पीढ़ी के सुखोई से नहीं की जा सकती। तेजस मार्क-1ए में अत्याधुनिक प्रणालियां और उपकरण लगे हैं। वहीं, तेजस मार्क-1 ए का उत्पादन वर्ष 2019-20 के बाद शुरू होगा। अगर सुखोई के उत्पादन की समय-सीमा भी यही होती तो उसकी लागत तेजस से भी अधिक होती। इस बीच प्रति वर्ष 8 से बढ़ाकर 16 तेजस के उत्पादन पर एचएएल जोर दे रहा है।
दो माह में रिपोर्ट देगी समिति
गौरतलब है कि एचएएल के पास 8 3 तेजस मार्क-1ए विमानों के उत्पादन का प्रस्ताव है। लेकिन, एचएएल द्वारा तय की गई कीमतों को कथित तौर पर अधिक बताया गया। यह राशि एचएएल के नासिक केंद्र में लाइसेंस के आधार पर तैयार किए जाने वाले अग्रिम पंक्ति के फ्रांसीसी लड़ाकू सुखोई-30 एमकेआई से भी अधिक है। कीमतों को लेकर विवाद बढऩे के बाद रक्षा मंत्रालय ने लागत निदेशक के नेतृत्व में समिति गठित कर दी जिसे दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपना है।
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