scriptआत्म भाव की स्थिरता से जीवन में शांति-साध्वी सुयशा | Peace in life with stability of self-consciousness - Sadhvi Suyasha | Patrika News

आत्म भाव की स्थिरता से जीवन में शांति-साध्वी सुयशा

locationबैंगलोरPublished: Jul 26, 2021 09:05:00 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

हनुमंतनगर में धर्मसभा

आत्म भाव की स्थिरता से जीवन में शांति-साध्वी सुयशा

आत्म भाव की स्थिरता से जीवन में शांति-साध्वी सुयशा

बेंगलूरु. हनुमंतनगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी सुधाकंवर के सान्निध्य में मंगल और कल्याण के आवास उपसर्गों को हरने वाले भगवान पाश्र्वनाथ का ऊवसग्गहरं स्तोत्र जाप का आयोजन हुआ। यह पाश्र्वनाथ भगवान का स्तोत्र स्तवन है। इसकी आराधना से सर्व विघ्न दूर होते है। इसकी रचना भद्रबाहु स्वामी महाराज के द्वारा की गई है। साध्वी सुयशा ने कहा कि मनुष्य जीवन में तीन स्तर है- मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक। इन तीनों के बीच जो स्थिरता बनाए रखता है, वही स्थाई सुख का अनुभव कर सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म तत्व की जो स्थिरता है वही हमारे भाव की स्थिरता है। धर्म में स्थिरता होनी चाहिए। मन स्वभाव से चंचल है, परिवर्तनशील भी है। हर पल बदलता रहता है। मन का सम्बन्ध आत्मा से है, भावों से है और शरीर से भी है। इनमें से एक भी स्थिर ना हो तो मन चंचल ही रहेगा। संचालन संघ मंत्री भंवरलाल गादिया ने किया। संघ अध्यक्ष कल्याणसिंह बुरड़ ने सभी का आभार जताया।
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