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कर्नाटक : टीकाकरण के कारण पैनिक मोड से बाहर निकल रहे हैं लोग

locationबैंगलोरPublished: Sep 20, 2021 07:32:59 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

– कोविड जनित अवसाद, घबराहट और चिंता सहित अन्य मानसिक समस्याओं से काफी हद तक राहत- मनोचिकित्सकों की राय

कर्नाटक : टीकाकरण के कारण पैनिक मोड से बाहर निकल रहे हैं लोग

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बेंगलूरु. कोरोना टीकाकरण कोविडजनित अवसाद, घबराहट और चिंता (depression, nervousness, and anxiety) सहित अन्य मानसिक समस्याएं कम करने में कारगर साबित हो रहा है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बीते कुछ माह से मरीजों की संख्या घटी है। लोग अब पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग की उप निदेशक (मानसिक स्वास्थ्य) डॉ. रजनी पी. ने बताया कि यह एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है। पहले लोग कोविड से घबराए हुए थे। उन्हें सामाजिक लांछन का भी डर रहता था। खुद के साथ परिजनों के भी संक्रमित होने की चिंता सताती थी। लोगों को लॉकडाउन के प्रभावों का भी सामना करना पड़ा । यह स्थिति अपने आप में पूरी दुनिया के लिए बहुत नई थी। मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर लोगों को आराम करने और गहरी सांस लेने में मदद करने के लिए अधिक काम कर रहे थे। प्रशिक्षित पेशेवरों का एक बड़ा समूह लोगों की मदद के लिए हर समय उपलब्ध रहा।

संक्रमण के डर के अलावा आइसोलेशन (Isolation) के कारण अकेलेपन ने हालात और खराब कर दिए। ऐसे कई मामले थे जहां संक्रमितों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ एक ही छत के नीचे रहना पड़ा।

जागरूकता बढऩे से हालात बदले
मानस मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के वरिष्ठ मनोचिकित्सक (psychiatrist) डॉ आलोक कुलकर्णी का कहना है टीकाकरण ने पैनिक मोड को काफी हद तक कम कर दिया है। टीके की दोनों खुराक लेने वाले सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। हालांकि, वे मानते हैं कि टीकाकरण ने स्थिति को अचानक नहीं बदला है। शुरुआत में लोग टीकाकरण से भी घबरा रहे थे। टीकाकरण संबंधी अफवाहों ने स्थिति और खराब कर दी थी। धीरे-धीरे लोग जागरूक हुए और टीकाकरण करवाया।

मानसिक ढाल बना टीकाकरण
डॉ कुलकर्णी ने बताया कि जिन्होंने टीके की दोनों खुराक ली है उनके चारों ओर एक मानसिक ढाल है। उन्हें लगता है कि वे वायरस से सुरक्षित हैं, उनके संक्रमित होने की संभावना कम है। वे संक्रमित हो भी गए तो जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस तरह का साहस लोगों को एक बड़े स्तर पर स्थिर करने में मदद कर रहा है। फिर से स्कूल-कॉलेज खुलने से विद्यार्थियों की जिंदगी भी दोबारा पटरी पर लौटी है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर और इस दौरान बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की आशंका है। लेकिन, लोगों को समझ में आ गया है कि कोविड से जुड़ी पाबंदियों का पालन कर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है।

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