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व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं -मुनि सुधाकर

locationबैंगलोरPublished: Oct 24, 2020 01:42:32 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

श्रद्धालुओं से धर्म चर्चा

व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं -मुनि सुधाकर

व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं -मुनि सुधाकर

बेंगलूरु. मुनि सुधाकर ने हनुमंतनगर स्थित तेरापंथ भवन में नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं से धर्म चर्चा करते हुए कहा हर व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं होता है। अपने उत्थान और पतन के लिए स्वयं जिम्मेदार है, जीवन की नौका को दबाने वाला भी वे स्वयं है, और उसे पार लगाने वाला भी स्वयं है। हर व्यक्ति को अपने किए हुए कर्मों का फल भोगना पड़ता है। शुभ कर्मों का फल शुभ होता है। अशुभ कर्मों का फल अशुभ होता है। सफलता असफलता सुख दुख लाभ-अलाभ यश-अपयश इसके लिए दूसरे को जिम्मेदार ठहराना अज्ञान व भूल है हर व्यक्ति अपने भाग्य की तस्वीर स्वयं बनाता है। मुनि सुधाकर ने आओगे कहां हमें अपने अस्तित्व को पहचानना चाहिए अपनी शक्ति को जागृत करना चाहिए हर आत्मा अनंत ज्ञान दर्शन चरित्र वह शक्ति से परी संपन्न है। हम बूंद नहीं समुद्र है बीज नहीं वट वृक्ष हैं किरण नहीं चतरा सूर्य का प्रकाश छिपा है। अभिमान करना पाप है। तो स्वयं को दीन हीन दुखी मत समझना महापाप है। यदि व्यक्ति अपने पुरुषार्थ को जगा लेता है। तो वह असंभव कार्य को ही संभव कर दिखाता है पुरुषार्थ सफलता का मंत्र तंत्र यंत्र है। भाग्य से अधिक हमें पुरुषार्थ परमच विश्वास करना चाहिए। आज का पुरुषार्थ ही कल का भाग्य बनता है। जो व्यक्ति भाग्यवान के भरोसे बैठे रहते हैं। उन्हें असफलता ही मिलती है हमें भाग्य बाद वह ईश्वर बाद से अधिक पुरुषार्थ वाद पर विश्वास करना चाहिए पुरुषार्थ की लो सघन अंधकार में भी प्रकाश की नव किरण प्रस्फटित करती है। पुरुषार्थ व प्रयास असफलता को भी सफलता में बदल देता है। उठो जागो प्रमाद मत करो इसे अपना जीवन मंत्र बनाएं यह मंत्र सफलता की जननी है। सिद्धियां और सिद्धियां उन्हीं को वरमाला पहनाती है। जिनमें श्रम सिलता का गुण होता है पुरुषार्थ सफलता का परम मंत्र है।

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