बाजारों में मंगलवार को उगादि की पूर्व संध्या पर खूब चहलपहल देखने को मिली।
शहर के चिकपेट, केआरपेट, चामराजपेट जैसे मुख्य बाजारों में सुबह से देर रात्रि तक भीड़भाड़ रही।
आम के पत्ते, तुलसी की मंजरी और केले के पत्तों की बिक्री जोरों पर रही।
फल-फूल की दुकानों में ग्राहकों की लंबी कतारें नजर आईं।
कुछ ग्राहकों का कहना है कि पारंपरिक पूजन सामग्रियां महंगी हो रही हैं।
उगादि के पर्व नई फसलें आने की खुशी के तौर पर भी मनाया जाता है।
पूजन सामग्रियों में सर्वाधिक मांग फूलों की देखी गई।
ऐसा माना जाता है कि उगादि के दिन से ही युग की शुरूआत हुई थी।
युगादि के पर्व पर दक्षिण भारत के राज्यों में पारंपरिक पकवान बनाने का चलन है।
Ram Naresh Gautam
हीरा नगरी पन्ना में पैदाइश, संगम नगरी प्रयागराज से पढ़ाई, बाबा नानक की कर्मनगरी सुल्तानपुर लोधी के जिला कपूरथला से मौजूदा कर्मक्षेत्र में कदम रखा जिसके कारण राम की वनवासकाल की प्रवासस्थली चित्रकूट के समीपी सतना सेे होते हुए हिमालय की गोद जम्मू के बाद आईटी सिटी बेंगलूरु में पड़ाव और वर्तमान में कुछ वर्षों से गुलाबी नगरी जयपुुर में ठहराव है...