scriptकर्नाटक : एनजीइएफ को डीम्ड वन क्षेत्र करने की योजना अधर में | Plan to convert NGEF to deemed forest area in limbo | Patrika News

कर्नाटक : एनजीइएफ को डीम्ड वन क्षेत्र करने की योजना अधर में

locationबैंगलोरPublished: Nov 25, 2021 04:27:43 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

– 18 प्रजातियों के लगभग 44,720 पेड़ मौजूद

Forest department's stones were used, the responsible made the payment after evaluation

Forest department’s stones were used, the responsible made the payment after evaluation

 

बेंगलूरु. प्रदेश सरकार ने अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येडियूरप्पा के उस प्रस्ताव को लागू करने की दिशा में एक इंच भी कदम नहीं बढ़ाया है, जिसमें उन्होंने बेंगलूरु मिशन 2022 कार्यक्रम के तहत नई सरकारी विद्युत फैक्टरी (एनजीइएफ), बेंगलूरु इकाई को एक ट्री पार्क में बदलने का उल्लेख किया है। वन विभाग ने भी भूमि को डीम्ड वन क्षेत्र घोषित करने का सुझाव दिया था।

परिसर के अंदर पेड़ों की संख्या की गणना करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के 2017 के आदेश पर कार्रवाई करते हुए वन विभाग के बेंगलूरु दक्षिण उपखंड ने सरकार को सूचित किया था कि 18 प्रजातियों के लगभग 44,720 पेड़ हैं। परिसर में पाए जाने वाले पेड़ों की संख्या के आधार पर विभाग ने सरकार को क्षेत्र को डीम्ड वन घोषित करने की सिफारिश की थी।

24 नवंबर 2017 को लिखे एक पत्र में, दक्षिण डिवीजन से जुड़े एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने बताया कि एनजीइएफ को 2000 की शुरुआत में बंद कर दिया गया था और विशाल परिसर में कई पेड़ हैं। उन्होंने सरकार को चंदन के पेड़ों की तस्करी के कई उदाहरणों से अवगत कराया जो मुख्य रूप से परिसर में पाए जाते हैं। एनजीइएफ की सीमाओं के चारों ओर दीवार खड़ी करने के बावजूद, चंदन के पेड़ों को काटे जाने, छोटे टुकड़ों में काटने औरअवैध रूप से तस्करी करने के कई उदाहरण हैं। पत्र के साथ संभाग ने सरकार को पेड़ों की प्रजातियों की संख्या से भी अवगत कराया और सचित्र साक्ष्य के साथ रिपोर्ट संलग्न की।

वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कैंपस में 44,720 पेड़ मिले हैं। वन विभाग द्वारा परिसर में चंदन और सागौन के पौधे भी लगाए गए। 70 प्रतिशत क्षेत्र में पेड़ हैं जबकि शेक्ष क्षेत्र में पुराने भवन हैं। इन भवनों की स्थिति काफी दयनीय है। असल में वन विभाग ने भी अब तक इन स्थानों को डीम्ड वन सूची के तहत लेने की जहमत नहीं उठाई है। कुछ नागरिक इस पर विचार करने के लिए विभाग को लिखते हैं लेकिन अभी तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच सरकार क्षेत्र को किसी पार्क में बदलना चाहती है।

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