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64 लाख का सोना बरामद करने पुलिस ने चोरों संग की 5 हजार किमी की यात्रा

locationबैंगलोरPublished: Dec 13, 2019 05:17:11 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

अपराध : 15 दिनों तक चली कार्रवाई के दौरान गिरोह का हुआ खुलासा

64 लाख का सोना बरामद करने पुलिस ने चोरों संग की 5 हजार किमी की यात्रा

64 लाख का सोना बरामद करने पुलिस ने चोरों संग की 5 हजार किमी की यात्रा

बेंगलूरु. नगर पुलिस ने करीब एक पखवाड़े तक चले अंतरराज्यीय कार्रवाई के दौरान एक ऐसे गिरोह का भंड़ाफोड़ किया है, जो घरों से सोने के आभूषण चुराया करता था। पुलिस ने चार चोरों को गिरफ्तार कर करीब 64 लाख रुपए मूल्य का 1.6 किलोग्र्राम स्वर्णाभूषण बरामद किया है।
स्वर्णाभूषण बरामद करने के लिए केंद्रीय अपराध शाखा के 12 पुलिस कर्मियों की टीम ने चार चोरों के साथ करीब 5 हजार किलोमीटर की रेल यात्रा की। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल से स्वर्णाभूषण बरामद किए हैं। पुलिस का कहना है कि चोरों का यह गिरोह वर्ष 2015 से ही बेंगलूरु में सक्रिय था लेकिन हाल ही में पहली बार पकड़ में आया।
पुलिस ने अनंत कुमार (31), रमेशचन्द्र साहू (32), विश्वजीत मल्लिक (23) व दुलाल सिंह साहू (33) को गिरफ्तार किया है। चारों आरोपी ओडिशा के रहने वाले हैं। पुलिस के मुताबक अनंत, रमेश और विश्वजीत नौकरी की तलाश में बेंगलूरु आते थे और वारदात के बाद लौट जाते थे। आरोपियों के खिलाफ शहर के विभिन्न थानों में 15 से अधिक मामले लंबित हैं। पुलिस के मुताबिक इस मामले में सबसे पहले अनंत गिरफ्तार हुआ। वह चोरी के एक मामले में विद्यारण्यपुरम पुलिस के निशाने पर था। पूछताछ के दौरान अनंत ने वारदात को अंजाम देने के तरीके और बाकी लोगों के इस गिरोह में शामिल होने का खुलासा हुआ। पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने रमेश और विश्वजीत को भी शहर के अलग-अलग इलाकों से हिरासत में लिया। इसके बाद बेंगलूरु पुलिस की टीम तीनों आरोपियों को चोरी के साथ पश्चिम बंगाल गई और उन दुकानों का दौरा किया जहां चोरी किया गया आभूषण बेचा गया था। ऐसे दुकान अधिकांशत: छोटे शहरों में हैं। पुलिस के मुताबिक अलग-अलग इलाकों में काम करने वाले आरोपी लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे। पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह में और भी अपराधी शामिल हो सकते हैं। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
अपराध : पैसा खत्म होने तक ऐश फिर वही काम
पुलिस के मुताबिक तीनों आरोपी चोरी किए गए आभूषणों को बेचकर मिले पैसे से ऐशो आराम की जिंदगी जीते थे। जब पैसा खत्म होता था तब बेंगलूरु लौट आते थे और काम की तलाश में जुट जाते थे। काम मिलती ही उनका गिरोह फिर सक्रिय हो जाता था। कुछ दिनों तक काम करने के बाद वे आभूषण और कीमत सामान चोरी कर फरार हो जाते थे। पुलिस का कहना है कि ये लोग अक्सर ट्रेन से सफर करते थे और अनंत के मामले को छोड़कर कभी पकड़ में नहीं आए। ये लोग देश के कई शहरों में घूमने जाते थे लेकिन चोरी सिर्फ बेंगलूरु में करते थे।
ऐसे देते थे अंजाम
पुलिस के मुताबिक गिरोह अमीर लोगों या उद्योगपतियों के यहां रसोइया अथवा घरेलू नौकर का काम पाने के लिए संपर्क करते थे। नौकरी मिल जाने पर ईमानदारी से काम करने का नाटक करते थे। मालिक का विश्वास जीतने के बाद उनके घरों से सोने और हीरे के जेवरात या अन्य कीमती समान चोरी कर फरार हो जाते थे। ये लोग रात के समय आसपास के सुनसान घरों में भी चोरी करते थे। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी नौकरी छोड़कर ट्रेन से कोलकाता चले थे। कोलकाता में तीनों आरोपी दुलाल को चोरी का सामान सौंप देते थे, जो आभूषणों को बेचकर तीनों को उनका हिस्सा दे देता था।
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