political crisis: मुंबई गए विधायक, सवाल वही-कब तक रहेगी सरकार
- जमकर हुआ राजनीतिक ड्रामा
- रामलिंगा रेड्डी का इस्तीफा कांग्रेस के लिए बड़ा झटका
- इस्तीफा देने वाले 12 विधायकों में से 9 कांग्रेस के और तीन जद-एस के

बेंगलूरु. पिछले एक साल से कांग्रेस जद-एस गठबंधन सरकार के लिए खतरा बने 12 विधायकों ने आखिरकार शनिवार को उस समय अपना resignation सौंपा जब chief minister HD kumarswamy अमरीका में हैं और 12 जुलाई से विधानमंडल का मानसून सत्र आहूत है।
विधायकों के इस्तीफे के साथ ही प्रदेश में political crisis गहरा गया है। जिन 12 विधायकों ने शनिवार को इस्तीफा दिया उनमें से 11 विधायक मुंबई के एक होटल में जाकर डेरा जमा लिए। इस्तीफा देने वाले 12 विधायकों में से 9 कांग्रेस के और तीन जद-एस के हैं। इनमें से भी पांच विधायक बेंगलूरु शहर के हैं। बेंगलूरु शहर से इस्तीफा देेने वाले चार विधायक कांग्रेस और एक विधायक जद-एस का है। विजयनगर (बल्लारी) का एक विधायक आनंद सिंह पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका वरिष्ठ नेता रामलिंगा रेड्डी का इस्तीफा रहा है। उन्होंने कहा कि वे छात्र जीवन से ही कांग्रेस से जुड़े रहे। Vidhan Sabha की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए उन्हें काफी दु:ख हो रहा है। दरअसल, 7 बार के विधायक (4 बार मंत्री रहे) रामलिंगा रेड्डी बेंगलूरु में कांग्रेस की राजनीति की धुरी रहे हैं। जब भी कांग्रेस के सामने बेंगलूरु शहर या बीबीएमपी से जुड़े मसलों पर कोई समस्या आई तो रामलिंगा रेड्डी खेवनहार बने। उन्होंने कहा कि वे पहले भी अपनी बातें कह चुके हैं। वे फिर से उसे दोहराना नहीं चाहते हैं। रामलिंगा रेड्डी के समर्थकों का कहना है कि पार्टी ने उनकी वरिष्ठता की अनदेखी की है। वे पार्टी में अपमानित हो रहे हैं। हालांकि, बात बिगडऩे से पहले प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंड्रे रेड्डी के आवास पर पहुंचे और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की लेकिन, रेड्डी अपने रुख पर अड़े रहे।
विधानसौधा में घंटों चला ड्रामा
स्पीकर के इस बयान के तुरंत बाद ही दर्जन भर विधायक सत्ता के केंद्र विधानसभा पहुंच गए जहां जमकर political drama हुआ। विधायकों के पहुंचने से कुछ ही मिनट पहले ही speaker विधानसभा से निकल गए। जब उनसे वहां से जाने का कारण पूछा गया तो नाराज हो गए और कहा कि उनका एक संबंधी मृत्यु शैय्या पर है। वे देखने जा रहे हैं। क्या अब मानवीयता भी नहीं रही। उधर, विधायक एक-एक कर विधानसभा कार्यालय पहुंचे और स्पीकर का इंतजार करने लगे। सभी विधायक अपने-अपने इस्तीफे के साथ आए थे और स्पीकर को ही सौंपना चाहते थे। विधायकों के इस्तीफा देने की खबर मिलते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरकत में आए। संकटमोचक कहे जाने वाले डीके शिवकुमार तुरंत विधानसभा पहुंचे और नाराज विधायकों को मनाने की कोशिश की। कथित तौर पर स्पीकर के कार्यालय में उन्होंने राज राजेश्वरी नगर के विधायक मुनिरत्ना का इस्तीफा फाड़ दिया। काफी इंतजार के बाद जब स्पीकर विधानसभा नहीं लौटे तो सभी विधायकों ने विधानसभा सचिव को ही अपना इस्तीफा सौंप दिया।
स्पीकर के बयान के बाद पहुंचे विधायक
उधर, विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने विधायकों के इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए बयान दिया कि 'आप मेरा माने या नहीं मानें, कोई भी विधायक इस्तीफा नहीं देने जा रहा है।Ó रमेश कुमार ने यह भी कहा 'मैं कोई बाजार में नहीं बैठा हूं। इस्तीफे की अफवाह फैलाकर ब्लैकमेल की रणनीति नहीं चलेगी। अगर किसी को इस्तीफा देना है तो वे मुझसे समय लें और मिलकर इस्तीफा दें।'
विधायक जब विधायक विधानसभा से निकले तो डीके शिवकुमार किसी तरह रामलिंगा रेड्डी, एसटी सोमशेखर और बी.बसवराज को अपनी कार में बिठाने में सफल रहे। हालांकि, राज्यपाल से मिलने पहुंचे 11 विधायकों में बसवराज और सोमशेखर भी थे। रामलिंगा रेड्डी राज्यपाल से मिलने नहीं पहुंचे। बाद में सभी विधायक तय कार्यक्रम के मुताबिक मुंबई रवाना हो गए।
विधानसभा भंग करने का भी विकल्प
विधायकों के इस्तीफे से राज्य में उपजे राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने विधानसभा भंग करने की संभावना से इनकार नहीं किया। प्रदेश कांग्रेस के कायकारी अध्यक्ष ईश्वर खंड्रे ने कहा कि 'यह कई विकल्पों में से एक विकल्प है। विधानसभा भंग करने का निर्णय कैबिनेट को सर्वसम्मति से करना होगा। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी रविवार शाम अमरीका से लौटेंगे उसके बाद ही इस पर कोई निर्णय होगा।'
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