आदिचुनचनगिरि मठ के प्रमुख स्वामी निर्मलानंद नाथ स्वामी के नेतृत्व में वोक्कालिगा समुदाय के शीर्ष धार्मिक और राजनीतिक हस्तियों की बैठक में सरकार को 23 जनवरी की समय सीमा दी है। नेताओं ने कहा कि अगर बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार समय सीमा से पहले इस विषय पर निर्णय लेने में विफल रहती है तो वे अगले कदम पर फैसला करेंगे। पिछले महीने एक अध्यादेश के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए के आरक्षण कोटा बढ़ाने के बाद से वोक्कालिगा, कुरुबा और पंचमशाली सहित अन्य समुदायों ने फिर से आरक्षण की मांग तेज कर दी है।राज्य वोक्कालिगा संघ के तत्वावधान में हुई बैठक में भाग लेने वालों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, मंत्री आर अशोक, डॉ के. सुधाकर और के. गोपालय्या और सिरा स्पतिकापुरी मठ के संत नंजवधूता स्वामी शामिल थे। बेंगलूरु से लोकसभा सदस्य गौड़ा और भाजपा के मंत्रियों ने सरकार के सामने समुदाय की मांग उठाने और आंदोलन में शामिल होने की बात कही। इनमें से कुछ ने कहा कि मंत्रिमंडल में समुदाय के नौ सदस्य हैं और इसके लिए वे अपनी पार्टी पर दबाव बनाएंगे।
पिछले महीने निर्मलानंद नाथ स्वामी ने सार्वजनिक रूप से वोक्कालिगा के लिए कोटा में 8 प्रतिशत की वृद्धि की मांग थी। उन्होंने कहा था कि मौजूदा प्रतिशत राज्य में समुदाय की आबादी के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि समुदाय कर्नाटक की आबादी का लगभग 16 प्रतिशत है, लेकिन उन्हें केवल 4 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि अगर राज्य के रेड्डी और बंट, और आंध्र के रेड्डी को भी समुदाय का हिस्सा माना जाता है, तो वोक्कालिगा की आबादी 30 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। स्वामी ने कहा कि वह इस मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए भी तैयार हैं। वोक्कालिगा की मांग पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पिछले दिनों कहा था कि उनकी सरकार कानून और अदालती फैसलों के दायरे में फैसला लेगी।जल्द
फैसला करे सरकार: जयमृत्युंजय स्वामी उधर, बागलकोट में रविवार को कुडलसंगम मठ के जयमृत्युंजय स्वामी ने कहा कि पंचमशाली समुदाय को आरक्षण के बारे में सरकार को जल्द निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि समुदाय ने मुख्यमंत्री की अपील पर १३ दिसम्बर को प्रस्तावित विधानसौधा घेराव स्थगित कर दिया है।