वहीं नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक- 2019 में केरल ने शीर्ष स्थान बरकरार रखा है जबकि बिहार प्रदर्शन के मामले में फिसड्डी रहा है। इस सूचकांक में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मानकों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है जिसमें देश के सभी ३७ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जल, स्वच्छता, उद्योग और नवाचार में बड़ी सफलता के कारण 2018 के मुकाबले 2019 में भारत के समग्र अंक 57 से बढक़र 60 हो गए हैं। हालांकि कुपोषण और लैंगिक असमानता अभी भी भारत के लिए समस्या बने हुए हैं और सरकार को इस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
कर्नाटक ने एसडीजी के क्षेत्र में जिन मानकों पर सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है उसमें राज्य ९३.३३ प्रतिशत तक खुले में शौच से मुक्त है जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा सिर्फ ५० फीसदी था। इसी तरह, घरेलू विद्युतीकरण और ग्रामीण घरेलू शौचालयों के मापदंडों पर, कर्नाटक ने 100 प्रतिशत स्कोर किया। वहीं सभी शहरी गरीबों को मकान दिलाने के मामले में राज्य का प्रदर्शन पिछले वर्ष की तुलना में पांच गुणा बेहतर हुआ है। राज्य का स्कोर 2018 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पांच प्रतिशत था जो इस बार बढक़र 2७ प्रतिशत तक पहुंच गया है। स्वास्थ्य के मामले में भी राज्य ने सराहनीय वृद्धि की है लेकिन सबसे बेहतर 82 प्रतिशत के साथ केरल शीर्ष पर रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष पांच राज्यों में से तीन ने 12 लक्ष्यों पर देश के औसत के बराबर या उससे बेहतर प्रदर्शन किया है। जबकि दो अन्य राज्यों ने 11 लक्ष्यों पर इस स्तर का प्रदर्शन किया है। 2018 में सिर्फ तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, केरल और तमिलनाडु को अव्वल (65 से 99 अंक) की श्रेणी में रखा गया था। जबकि 2019 में पांच और राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, सिक्किम व गोवा इस श्रेणी में शामिल हो गए हैं।
गरीब, भुखमरी और लैंगिक समानता चिंतनीय
गरीबी, भुखमरी और लैंगिक समानता सूचकांक में कर्नाटक की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में खराब रही है। गरीबी उन्मूलन के एसडीजी लक्ष्य पर राज्य 52 से घटकर 49 हो गया। इससे भी बदतर स्थिति भुखमरी हटाने पर है जहां राज्य पिछले साल के 54 से 17 पायदान गिरकर 37 पर पहुंच गया। लैंगिक समानता पर भी राज्य एक स्थान नीचे गिर गया।
गरीबी, भुखमरी और लैंगिक समानता सूचकांक में कर्नाटक की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में खराब रही है। गरीबी उन्मूलन के एसडीजी लक्ष्य पर राज्य 52 से घटकर 49 हो गया। इससे भी बदतर स्थिति भुखमरी हटाने पर है जहां राज्य पिछले साल के 54 से 17 पायदान गिरकर 37 पर पहुंच गया। लैंगिक समानता पर भी राज्य एक स्थान नीचे गिर गया।