आत्मानुशासन के चार प्रकार हैं- मनोनुशासन, वचोनुशासन, कायानुशासन और इंद्रियानुशासन। अपने मन को वश में रखना मनोनुशासन होता है। अपनी वाणी पर अनुशासन रखना वचोनुशासन होता है। आदमी को यह ध्यान देना चाहिए कि वह अनावश्यक रूप से कितनी बार बोलता है और आवश्यकता अनुरूप कितनी बार बोलता है। सत्य कितनी बार बोलता है और असत्य कितनी बार बोलता है। कटु वचन कितनी बार बोलता है और मधुर वचन कितनी बार बोलता है।
राष्ट्रीय संस्कार निर्माण शिविर आचार्य महाश्रमण की सान्निध्य में एवं जैन श्वेतांबर तेरापंथ महासभा के तत्वावधान में राष्ट्रीय संस्कार निर्माण शिविर का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर आचार्य महाप्रज्ञ शताब्दी वर्ष पर राष्ट्रीय महानगर पत्रिका में आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन पर आधारित अंक आचार्य महाश्रमण को भेंट किया गया। अमृतवाणी संरक्षक सुखराज सेठिया, चतुर्मास व्यवस्था समिति उपाध्यक्ष ललित मांडोत व वरिष्ठ श्रावक डालम चंद दुग्गड़ उपस्थित थे।