युवा मंत्री मनीष बाफना, महिला अध्यक्ष चंदना मेड़तवाल, मंत्री अनीता गांग, लाडबाई छाजेड़ मंचासीन थे। स्नेहमिलन में अनेक मनोरंजक कार्यक्रम एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। मंत्री पुखराज श्रीश्रीमाल ने आभार जताया। ——-
जैन अणुप्पेहा ध्यान योग साधना से प्रकृति का महत्व समझाया
बेंगलूरु. समणी निर्देशिका डॉ. सुयशनिधि एवं समणी सुयोगनिधि के सान्निध्य में आयोजित धर्मसभा में जैन अणुप्पेहा ध्यान योग साधना के माध्यम से प्रकृति के साथ जुडऩे का प्रशिक्षण दिया गया।
बेंगलूरु. समणी निर्देशिका डॉ. सुयशनिधि एवं समणी सुयोगनिधि के सान्निध्य में आयोजित धर्मसभा में जैन अणुप्पेहा ध्यान योग साधना के माध्यम से प्रकृति के साथ जुडऩे का प्रशिक्षण दिया गया।
समणी डॉ. सुयशनिधि ने कहा कि हर एक साधक को प्राणी मात्र के प्रति अनुकम्पा और दया का भाव रखना चाहिए। जैन दर्शन के अनुसार कहा जाता है कि पृथ्वी, पानी, अग्नि, वनस्पति, वायु स्वयं जीव हैं और उन एकेंद्रिय जीवों पर अनुकम्पा करने का आशय अनावश्यक पाप से बचना है।
गृहस्थ जीवन में रहते हुए स्थावर काय जीवों की हिंसा होती है परन्तु बिना प्रयोजन के पाप से बचा जा सकता है। प्रत्येक संसाधन का उपयोग करने से पूर्व आंकना चाहिए कि इस बीच कितने जीवों की हिंसा हो रही है।
इस तरह अनुकम्पा करुणा भाव को जागृत करने से पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु एवं वनस्पति का दुरुपयोग न करते हुए प्रकृति की प्रत्यक्ष एवम परोक्ष रूप से संरक्षा कर सकते है। ध्यान के माध्यम से प्रकृति की अनुपम सुंदरता एवम् वातावरण की शुद्धता का अनुभव करवाया गया।