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बीबीपी में वन्यजीवों के भोजन से चिकन व अंडे गायब

locationबैंगलोरPublished: Jan 06, 2018 09:47:23 pm

Submitted by:

Sanjay Kumar Kareer

बर्ड फ्लू रोकने के ऐहितयाती कदम के तहत पर्यटकों को बन्‍नेरघट्टा जैविक पार्क में चिकन या अंडे नहीं लाने के निर्देश

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बेंगलूरु. दासरहल्ली गांव के एक पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू यानी एवियन फ्लू (एच5 एन1) की पुष्टि होने के बाद बन्नेरघट्टा जैविक पार्क (बीबीपी) प्रबंधन ने वन्यजीवों के भोजन से चिकन व अंडे हटा दिए हैं। पर्यटकों को भी अपने साथ चिकन या अंडे नहीं लाने के निर्देश दिए गए हैं।
बीबीपी के कार्यकारी निदेशक आर. गोकुल ने बताया कि बर्ड फ्लू के फैलाव को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। बचाव के लिए तमाम ऐहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। बर्ड फ्लू से मुक्ति मिलने तक चिकन और अंडों पर रोक जारी रहेगी। इसके बदले वन्यजीवों को मछली व अन्य मांस दिए जाएंगे।
मांसहारी वन्यजीवों के लिए रोजाना 15 किलो चिकन, 36 किलो मछली, 374 चूजे व 700 किलो गोमांस खरीदा जाता है। बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा होने से इन वन्यजीवों को ***** का मांस नहीं परोसा जाता है। इन्हें सप्ताह में छह दिन भोजन मिलता है। मंगलवार को इन्हें भूखा रखा जाता है।
गोकुल ने बताया कि बीबीपी में 1983 बड़े जानवर, तीन नर हनुमान लंगूर, चार अन्य लंगूर व 369 पक्षी हैं। सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को पक्षियों पर नजर रखने के लिए कहा गया है। निर्देश के अनुसार किसी भी पक्षी के मरने पर शव का पोस्टमार्टम होगा। बीमार पक्षियों को समूह से अलग कर परीक्षण होगा। बीबीपी प्रबंधन बर्ड फ्लू के संभावित संक्रमण और लक्षणों पर विशेष ध्यान दे रहा है।
चिडिय़ाघर को बंद रखने पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है। पर्यटकों को दिशा-निर्देश जारी कर उन्हें दूर से ही पक्षियों को देखने व किसी भी पक्षी को बीमार, निष्क्रिय या मृत पाने की स्थिति में नजदीकी कर्मचारी को सूचित करने के लिए कहा गया है।
गोकुल ने बताया, चिडिय़ाघर परिसर के सभी झीलों और तालाबों व अन्य जल निकायों पर प्रबंधन की पैनी नजर है। वायरस का प्रसार रोकने के लिए हर पिंजरे के बाहर पोटैशियम परमैंगनेट का घोल रखा गया है। काम खत्म करने के बाद बाहर निकलने से पहले अंदर मौजूद सभी लोगों को इस घोल में पांव धोना होता है। पर्यटकों के लिए भी यही नियम लागू है।
बीबीपी के अधिकारी एक सात वर्ष के आम मादा लंगूर को लेकर चिंतित हैं। यह लंगूर शुरू से ही उबले अंडों पर जिंदा है। इसके अलावा वो और कुछ नहीं खाता। गोकुल ने बताया कि लंगूर के लिए वैकल्पिक भोजन की व्यवस्था का प्रयास जारी है।
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