बैंगलोर

चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां

वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में लालबाग रोड स्थित गोडवाड भवन में होने वाले आध्यात्मिक चातुर्मास २०१८ की आमंत्रण पत्रिका का विमोचन रविवार को किया गया।

बैंगलोरJun 25, 2018 / 10:23 pm

शंकर शर्मा

चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां

बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में लालबाग रोड स्थित गोडवाड भवन में होने वाले आध्यात्मिक चातुर्मास २०१८ की आमंत्रण पत्रिका का विमोचन रविवार को किया गया।

श्रमण संघीय उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि, उपप्रवर्तक पारस मुनि, रमणीक मुनि आदि ठाणा १० के सान्निध्य में होने वाले चातुर्मास के लिए २२ जुलाई को मंगल प्रवेश होगा।


चातुर्मास के दौरान होने वाले धार्मिक आयेाजन के समावेश वाली आमंत्रण पत्रिका का विमोचन चातुर्मास के मुख्य संयोजक रणजीतमल कानूंगा ने किया। चातुर्मास तैयारी बैठक में कानूंगा ने कहा कि टीम भावना से सभी मिलकर जो चाहते हैं वह कर सकते हैं।आवश्यकता कार्य को महत्व के अनुसार प्राथमिकता के क्रम अनुसार करने की है। बस कार्य समयबद्ध व क्रमानुसार होना चाहिए। चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाना है।


विजयनगर संघ के मंत्री शांतिलाल लोढ़ा ने कहा कि धर्म प्रभावना को अधिकाधिक बढ़ाने के लक्ष्य को केंद्रित कर सभी कार्य करने होंगे। प्रारंभ में चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि धर्म, कर्म में किसी को एक सीमा में नहीं बांधा जा सकता है। उन्होंने भावी आयोजनों की विस्तृत जानकारी देते हुए पदाधिकारियों को जिम्मेदारियों से अवगत कराया।


बैठक में गोडवाड भवन के ट्रस्टी कुमारपाल सिसोदिया, चिकपेट शाखा के संरक्षक विजयराज लूणिया, रमेश सिसोदिया, शांतिलाल भंडारी, राजेंद्र अखावत, अशोक चोरडिया, भंवरलाल पगारिया, मनोहरलाल बाफना, शांतिलाल पोखरणा, प्रकाशचंद्र ओस्तवाल, महावीर रुणवाल सहित अनेक लोग मौजूद थे। धारीवाल ने बताया कि रविंद्र मुनि व अन्य संत सोमवार को चिकपेट स्थानक पहुंचेंगे, यहां गुरु भगवंतों का दो दिन का प्रवास रहेगा।

जन्म से ज्यादा महत्वपूर्ण जीवन
बेंगलूरु. स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अलसूर के तत्वावधान में महावीर भवन में जय धुरन्धर मुनि ने कहा कि मानव के जन्म से ज्यादा महत्वपूर्ण जीवन होता है। दीक्षा सम्यक पुरुषार्थ की श्रेष्ठ पर्याय है। दीक्षा आत्मा का उल्लास है। दीक्षा गुणानुवाद हमें प्रेरणा देते हैं कि हम भी इस पथ पर चलने की भावना विकसित करें।


उन्होंने कहा कि संसार से उदासीनता वैराग्य को जन्म देती है और योग्य गुरु का सान्निध्य इस वैराग्य को दीक्षा में परिवर्तित करते हैं। संसार यात्रा के कई प्रसंग हमें प्रेरणा देते हैं। कई बार भावनाओं में उबाल भी आता है कि संयम से ही सार है। किंतु संयम के लिए दृढ़ मनोबल की आवश्यकता होती है। जयपुरंदर मुनि, जय कलश मुनि, संघ मंत्री चंद्रप्रकाश मुथा, संघ अध्यक्ष जीवराज लोढ़ा ने भी विचार व्यक्त किए। महावीर भवन में मुनि की सांसारिक पत्नी व पुत्री भी श्रमणी पथ से जिनवाणी प्रभावना कर रही हैं।

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