अधिवेशन के दौरान विधायकों को अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को कारगर तरीके से उठाने के साथ ही आम जनता के हितों को वरीयता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों को अधिकारियों के तबादले व अधिकारियों के निलंबन से जुड़े मसलों के बजाय लोगों की पेयजल की समस्याओं को दूर करने को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज संसदीय प्रजातंत्र को अपनाने के अलावा सारे विश्व के सामने अन्य कोई रास्ता नहीं है क्योंकि सैनिक व तानाशाही शासन ने सही परिणाम नहीं दिए हैं। उन्होंने कहा कि जब आम जनता और देश व राज्य के हितों की बात आती है तो सभी सदस्यों को दलगत मतभेद भुलाकर एकजुट होकर काम करना चाहिए।
विधान सभा व विधान परिषद के लिए चुने जाने वाले सदस्यों को खुद को भाग्यशाली समझना चाहिए और सदन का गौरव बढ़ाने का काम करना चाहिए। अधिवेशन के दौरान गैर हाजिर नहीं रहना चाहिए और सार्वजनिक महत्व के मसलों की तरफ सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। सदन में आने से पहले पूर्व तैयारी करके आना चाहिए और प्रश्नकाल सहित पूरे कार्यकलाप में सक्रियता से भाग लेना चाहिए।
विधान सपरिषद के सभापति बसवराज होरट्टी ने कहा कि विधानमंडल की सदन समितियों की बैठकों में सदस्यों को सक्रियता से भाग लेना चाहिए क्योंकि वहां पर अधिक जानकारी हासिल करने का अवसर मिलता है।
सदस्यों को अधिक अध्ययनशील रहना चाहिए और पीठासीन अधिकारी के फैसले का सम्मान करना चाहिए। सदस्यों को केवल उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करने के बाद लांज में बैठे रहने के बजाय सदन के पूरे कार्यकलाप के दौरान उपस्थित रहना चाहिए।