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जीवन में शरीर, मन और आत्मा की आवश्यकता
बेंगलूरु. विल्सन गार्डन स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सध्वी विनीव्रता ने उत्तम अकिंचन्य धर्म की महिमा बताते हुए कहा कि जीवन में शरीर, मन और आत्मा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि शरीर की आवश्यकता रोटी, कपड़ा मकान की है इसके बिना शरीर सुरक्षित और जीवित नहीं रह सकता। जीवन यापन के लिए रोजी, व्यापार और नौकरी चाहिए।
जीवन में शरीर, मन और आत्मा की आवश्यकता
बेंगलूरु. विल्सन गार्डन स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सध्वी विनीव्रता ने उत्तम अकिंचन्य धर्म की महिमा बताते हुए कहा कि जीवन में शरीर, मन और आत्मा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि शरीर की आवश्यकता रोटी, कपड़ा मकान की है इसके बिना शरीर सुरक्षित और जीवित नहीं रह सकता। जीवन यापन के लिए रोजी, व्यापार और नौकरी चाहिए।
मन की आवश्यकता संगीत साहित्य कला है। शरीर जब थक जाता है तब मनोरंजन चाहता है। साहित्य पढ़ता है। गीत लिखता है। काव्य लिखता है। जब पेट भरा होता है तब संगीत सीखता है। कला सीखता है। मन खाली नहीं बैठता है। कुछ न कुछ करता रहता है। मन कुछ करके दिखाना चाहता है और कुछ पाना चाहता है। जब इन दोनों से उबता है तब तीसरी आवश्यकता का जन्म होता है। पूजा भक्ति, आराधना, प्रार्थना, उपासना, साधना, संन्यास, ध्यान सामायिक चरित्र, शील संयम। ये आलौकिक करते हैं। इनके आते ही जीवन की धारा बदल जाती है।
— अंबाजी धाम तक पदयात्रा शुरू
बेंगलूरु. सायला (राजस्थान) स्थित अंबाजी मंदिर से बेंगलूरु के 90 भक्तों ने विधिवत पूजा आरती कर अंबाजी धाम के लिए पदयात्रा शुरू की। डुंगरमल चौपड़ा ने बताया कि भक्त पांच दिन पदयात्रा करते हुए 27 सितम्बर को अंबाजी धाम पहुंचेंगे। इस अवसर पर कुयालाल कब्दी, ओटमल कब्दी, महावीर कब्दी, सुमेरमल ओटवाल, रिखब सोलंकी, तिलोक चंद भंडारी, कुयालाल गोवानी आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।
बेंगलूरु. सायला (राजस्थान) स्थित अंबाजी मंदिर से बेंगलूरु के 90 भक्तों ने विधिवत पूजा आरती कर अंबाजी धाम के लिए पदयात्रा शुरू की। डुंगरमल चौपड़ा ने बताया कि भक्त पांच दिन पदयात्रा करते हुए 27 सितम्बर को अंबाजी धाम पहुंचेंगे। इस अवसर पर कुयालाल कब्दी, ओटमल कब्दी, महावीर कब्दी, सुमेरमल ओटवाल, रिखब सोलंकी, तिलोक चंद भंडारी, कुयालाल गोवानी आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।