दरअसल यह कॉल क्वारंटाइन नियंत्रण कक्ष से आया था। छानबीन करने पर पता चला कि कोरोना जांच के लिए पंजीकरण कराते समय हेब्बाल के एक शख्स ने यह मोबाइल नंबर दर्ज कराया था जो असल में मैसूरु जिलाधिकारी का निकला।
शंकर ने कहा कि उन्हें पता नहीं कि इस शख्स ने बदमाशी की या वास्तव में गलती हुई है। इस प्राइमरी कॉन्टैक्ट ने सैंपल देते समय उनका मोबाइल नंबर दर्ज कराया था। शंकर ने कहा कि वे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करेंगे और शख्स को चेताया गया है।
उल्लेखनीय है कि सैंपल देने के दौरान गलत पता और मोबाइल नंबर देने के हजारों मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। जिससे निपटने के लिए मैसूरु जिला प्रशासन ने शनिवार को ही जारी निर्देश में संबंधितों से पहचान पत्र की कॉपी जमा कराने सहित मोबाइल नंबर भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है।