शहर में सोमवार को इंडियन फार्मा तथा मेडिकल डिवाइस के चौथे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के विचारों के आदान-प्रदान संभव हुए हैं, जिससे इस उद्यम की तेज गति से प्रगती हो रही है।उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जेनरिक दवाइयों की आपूर्ति करनेवाला देश बन गया है। आज ऐसी दवाओं में से 50 फीसदी दवाइयों की आपूर्ति देश कर रहा है। साथ में विश्व की 40 फीसदी विभिन्न वैक्सीन की मांग भी हमारा देश पूरा कर रहा है। अमरीका तथा ब्रिटेन जैसे देशों के लिए 25 फीसदी दवा आपूर्ति भारत कर रहा है। इस क्षेत्र में आज भारत अमरीका तथा चीन के पश्चात तीसरे स्थान पर पहुंचा है।
आज हमारा देश चिकित्सा उपकरणों के निर्माण क्षेत्र में विश्व में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। इस क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे उपकरणों की उत्पादक इकाइयां लगातार बढ़ रही हैं। चिकित्सा उपकरणों के निर्माण करने वाले विश्व के अग्रणी 20 देशों की सूची में भारत शामिल हो गया है।
उद्यम मंत्री के.जे. जार्ज ने कहा कि दवा उत्पादन क्षेत्र के लिए कर्नाटक निवेशकों के लिए पहली पसंद बना है। इस क्षेत्र के लिए आवश्यक कुशल मानव संसाधनों की आपूर्ति के लिए यहां पर अनुसंधान तथा प्रशिक्षण केंद्रों की आवश्यकता है। इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को विशेष प्रयास करने होंगे। राज्य के कई जिलों के औद्योगिक पार्क में इस क्षेत्र के लिए भूखंड आरक्षित किए गए है। इस क्षेत्र में रोजगारों के सृजन की संभावनाएं हंै।
केंद्रीय उर्वरक तथा रसायन राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि जन औषधि परियोजना के कारण लोगों को सस्ते दामों पर गुणात्मक दवाएं मिल रही हैं। वर्ष 2015 में देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या 99 थी, जो आज 5000 तक पहुंच गई है। देश के विभिन्न राज्यों में ऐसे 5 भंडारण केंद्र स्थापित किए गए हैं। इस अवसर पर दवाई उत्पादन तथा चिकित्सा उपकरण उत्पादन इकाइयों में कार्यरत विभिन्न पांच कंपनियों को पुरस्कृत किया गया।