ऐसा होने की स्थिति में न्यायालय जाने की चेतावनी दी है। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री एन. महेश ने कुछ दिन पहले अपने बयान में नए निजी स्कूलों को अनुमति नहीं देने पर विचार करने की बात कही थी। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के पास नए स्कूल खोलने के संबंध में २४२९ से भी ज्यादा आवेदन लंबित हैं। इन पर नामंजूरी का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि सरकार ने इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश सरकार का मानना है कि निजी स्कूलों के कारण सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटी है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत भी इस बार सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है।
सरकारी स्कूलों की हालत के लिए निजी स्कूलों को जिम्मेदार ठहरा कर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। शशिकुमार ने कहा कि उन्होंने शिक्षा मंत्री सहित प्राथमिक व माध्यमिक विभाग की प्रधान सचिव डॉ. शालिनी रजनीश को भी पत्र लिख कर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। पत्र में कहा है कि सरकारी अधिसूचना के बाद ही लोगों ने निजी स्कूल शुरू करने के लिए आवेदन किया था।
सार्वजनिक शिक्षा विभाग ने २६ मार्च को सूचना जारी कर नए स्कूलों के लिए आवेदन आमंत्रित किया था।
सरकार अब अनुमति नहीं देने की बात कर रही है। ऐसा हुआ तो विभिन्न निजी स्कूल संघ न्यायालय जाने पर मजबूर हो जाएंगे। पूर्व प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री तनवीर सेत ने भी घोषणा की थी अगले पांच वर्षों तक नए निजी स्कूल खोलने की अनुमति नहीं देंगे, लेकिन निजी स्कूल संघों के दबाव के आगे यह दावा टिक न सका था।