बैंगलोर

विपक्ष के धरने के बीच आठ विधेयक ध्वनिमत से पारित

विधान परिषद की कार्यवाही

बैंगलोरFeb 15, 2019 / 08:55 pm

Rajendra Vyas

विपक्ष के धरने के बीच आठ विधेयक ध्वनिमत से पारित

बेंगलूरु. विधान परिषद में गुरुवार को विपक्ष के धरने तथा नारेबाजी के बीच ही आठ विधेयक ध्वनिमत से परित किए गए। सुबह 11.15 को जब सदन की कार्यवाही शुरु हो गई तब सदन में विपक्ष भाजपा के सदस्य नहीं थे। इस दौरान सभापति ने सदन में विधानसभा में पारित किए गए 8 संशोधन विधेयकों को मंजूरी के लिएसदन में रखने के निर्देश दिए।
जिसके तहत बसवकल्याण विकास निगम (संशोधित) विधेयक 2019, भू-अधिग्रहण पुनर्वास तथा मुआवजा वितरण विधेयक (संशोधित) 2019, कर्नाटक ऋण परिहार विधेयक (2018) एनआईई विवि विधेयक 2019, कर्नाटक राज्य विवि (संशोधित) विधेयक 2019, आदिचुंचनगिरी विवि (संशोधित) विधेयक 2019, आर.वी. विश्वविद्यालय विधेयक 2019 तथा कर्नाटक राज्य सिविल सेवा (शिक्षक तबादला नियंत्रण) (संशोधित) विधेयक 2018 सदन में रखेे गए।
इनमें से अधिकांश विधेयक सदन में आसानी पारित किए गए। इस बीच सदन में पहुंचे भाजपा के सदस्यों ने हासन में भाजपा के विधायक प्रीतम गौड़ा के निवास पर पथराव के मामले को लेकर सभापति की पीठ के सामने धरना देकर नारेबाजी शुरू कर दी।
सदन की नेता जयमाला तथा सभापति प्रतापचंद्र शेट्टी ने कई बार भाजपा के सदस्यों को सदन की कार्यवाही में सहयोग देने की अपील की लेकिन भाजपा के सदस्यों ने इस अपील को नजरअंदाज करते हुए धरना जारी रखा। इस दौरान धरने पर बैठे कुछ भाजपा सदस्यों ने राज्य सरकार पर आपत्तिजनक टिप्पण्णी की। जिस पर मंत्री आर.वी. देशपांडे ने कहा कि किसी संवैधानिक सरकार को गुंडा सरकार कहना गणतंत्र का अपमान है। इस पर सभापति ने व्यवस्था देते हुए कहा कि धरने पर बैठे किसी भी सदस्य की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं किया जाएगा।
सदन में सत्तासीन दलों के बीच जंग
कर्नाटक राज्य सिविल सेवा (शिक्षक तबादला नियंत्रण) (संशोधित) विधेयक 2018 को लेकर कांग्रेस के सदस्य एस.आर. पाटिल, अशोक मटट्ूर तथा जनता दल-एस के पुट्टणा एवं एस.एल. धर्मेगौड़ा ने आपत्ति व्यक्त करते हुए इस विधेयक को आनन-फानन में पेश करने के बजाय सेलेक्ट समिति को भेजने की मांग रखी। इस दौरान धरने पर बैठे भाजपा सदस्य सत्तापक्ष के सदस्यों के बीच चल रही खींचतान का मजा ले रहे थे। सदन में स्थिति को अनियंत्रित होते हुए देख सभापति ने सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
विधेयक को लेकर सत्तासीन दल दो-फाड़
एस.आर. पाटिल के इस तर्क का जद-एस के सदस्य पुट्टण्णा ने समर्थन किया और कहा कि तबादलों पर अघोषित रोक के कारण राज्य के 3 लाख से अधिक शिक्षक परेशान हैं। ऐसे में इस समस्या के समाधान का प्रयास करने के बदले 30 फीसदी तबादलों पर एकमुश्त अधिकार अपने हाथ में लेने का प्रयास कर शिक्षकों के तबादले को एक कारोबार बनाने के लिए परोक्ष रूप से प्रोत्साहन दे रही है। इसलिए इस विधेयक को सेलेक्ट समिति में ही भेजा जाना चाहिए। इस विधेयक को लेकर सदन में आमहमति बनाने के लिए सभापति ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
उसके पश्चात जब सदन की कार्यवाही पुन: शुरू हुई तब सदन की नेता जयमाला ने सदस्यों की आपत्ति पर आवश्यक सुधार लाने का आश्वासन देते हुए इस विधेयक को पारित करने की अपील की उसके पश्चात इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया।
तबादला नीति पर सरकार की घेराबंदी
शिक्षकों के तबादला नीति को लेकर सदन में लाए गए विधेयक को अतार्किक करार देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एस.आर. पाटिल ने कहा कि इस संशोधन के कारण शिक्षकों के तबादले के लिए विधानमंडल के परिसर में ही सैकड़ों दलाल पैदा होंगे। गत तीन वर्षों से तबादले नहीं किए जाने से कई शिक्षकों को तबादले का इंतजार है, इस स्थिति का फायदा उठाते हुए शिक्षकों को तबादले का आश्वासन देकर उनके साथ धोखाधड़ी की संभावना है। इसलिए इस विधेयक को सदन की सेलेक्ट समिति को भेजना ही बेहतरीन विकल्प है।
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