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सारस का उत्पादन मॉडल जल्द होगा तैयार

locationबैंगलोरPublished: Feb 21, 2018 07:01:03 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

तीन से चार महीने का लगेगा वक्त, 20 उड़ानों को बाद लगेगी उत्पादन मॉडल पर मुहर, आईएएफ खरीदेगी 15 सारस, दूसरी सफल उड़ान पूरी

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बेंगलूरु.
देश के पहले स्वदेशी परिवहन विमान सारस का उत्पादन मॉडल अगले तीन से चार महीने में तैयार हो जाएगा।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने यहां बुधवार को सारस पीटी-1एन (14 सीटर) की दूसरी उड़ान देखने के बाद संवाददाताओं से बातचीत मेें यह बात कही।
उन्होंने कहा कि उत्पादन मॉडल को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक 20 उड़ानें अगले दो से तीन महीने में पूरी कर ली जाएंगी। इसमें से दूसरी परीक्षण उड़ान बुधवार को पूरी हुई।
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि परीक्षण उड़ान पूरी होने के बाद इसे सुरक्षा मामलों की केंद्रीय कमिटी (सीसीएस) के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सीएसआईआर-एनएएल द्वारा विकसित की जा रही सारस विमान परियोजना वर्ष 2009 में हुई एक दुर्घटना के बाद रोक दी गई थी। एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद इसे फिर से आरंभ किया गया है। कई सुधारों के बाद तैयार सारस के पहले प्रोटोटाइप ने पिछले 24 जनवरी को पहली उड़ान भरी थी। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि आरंभ में सेना के लिए और उसके बाद सैनिक संस्करण के लिए सरस-मैक-2 लेने का प्रस्ताव है। भारतीय वायुसेना ने 15 सारस विमान खरीदने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि सारस अपनी श्रेणी के किसी आयातित विमान की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत सस्ता होगा। सारस आधुनिक संस्करण विमान 14 सीटों के स्थान पर 19 सीटों वाला होगा। विमान की यूनिट लागत 70 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामान के साथ 40-45 करोड़ होगी जबकि आयातित विमान की कीमत 6 0 से 70 करोड़ है। वहीं आयातित विमान की तुलना में इसके फायदे भी अधिक हैं।
saras
बहुद्देश्शीय सेवाओं के लिए उपयोगी
उन्होंने कहा कि सारस मैक-2 एयर टैक्सी, वायु अनुसंधान एवं सर्वेक्षण, विशेष परिवहन, आपदा प्रबंधन, सीमा पर गश्त, तटरक्षक, एम्बुलेंस और अन्य सामुदायिक सेवाओं जैसे विभिन्न कार्यों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। इसके अलावा सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत यात्री सम्पर्क के लिए यह एक आदर्श विमान है। इसका सफल विकास भारत में नागर विमानन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी। उन्होंने एएसटीई के कमांडेंट और परीक्षण चालक दल के सदस्यों को प्रशस्ति पुरस्कार देने की भी घोषणा की।
एचएएल करेगा उत्पादन
सारस के सैनिक संस्करण के उत्पादन के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की पहचान की गई है, जबकि असैनिक संस्करण का उत्पादन एक निजी उद्योग को दिया जाएगा। भारत को अगले दस वर्ष में असैनिक और सैनिक संस्करण के लिए इस प्रकार के 120 से 16 0 विमानों की आवश्यकता है।
अनुमानित लागत 6 00 करोड़
केंद्रीय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डा. गिरीश साहनी ने कहा कि सारस मैक-2 के विकास और उसके सत्यापन पर 6 00 करोड़ रूपए खर्च आएगा और इसमें करीब 2 से 3 वर्ष का समय लगेगा। सीएसआईआर-एनएएल के निदेशक जितेंद्र जे. जाधव ने कहा कि इस विमान के विकास पर अभी तक लगभग 350 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। एयर वाइस मार्शल संदीप सिंह ने कहा कि भारतीय वायु सेना परीक्षण करने और उसके बाद स्वदेश में डिजाइन और निर्मित पहले हल्के परिवहन विमान को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना इस कायक्रम को पूरा सहयोग दे रही है और सारस के नए संस्करण के डिजाइन और विन्यास का प्रयोग जल्दी ही पूरा हो जाएगा।
नव विकसित सारस की खूबियां
-हाई कू्रज स्पीड
-शार्ट टेक-ऑफ एवं लैंडिंग
-केबिन मेें काफी कम शोर
-उच्च और गर्म एयरफील्ड से संचालन की क्षमता
-दबावयुक्त केबिन
-आधे तैयार एयरफील्ड से भी परिचालन की क्षमता
-कम अधिग्रहण और रखरखाव लागत

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