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अंतरिक्षीय कचरे ने फिर रोकी राह

locationबैंगलोरPublished: Jan 12, 2018 05:56:01 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

पीएसएलवी सी-40 की लांचिंग में 1 मिनट की देरी

plsv c 40 launch
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को फिर एक बार अंतरिक्षीय कचरे का सामना करना पड़ा। पीएसएलवी सी-40 से कार्टोसैट-2 एफ सहित 31 उपग्रहों के प्रक्षेपण की राह में अंतरिक्षीय कचरा फिर एक बार बाधा बना और मिशन को खतरे से बचने के लिए एक मिनट की देरी की गई। दरअसल, पीएसएलवी सी-40 का प्रक्षेपण सुबह 9.28 बजे किया जाना था लेकिन एक मिनट विलंब से यह रॉकेट 9.29 बजे छोड़ा गया।
यह कोई पहला अवसर नहीं है जब अंतरिक्षीय कचरा उपग्रह प्रक्षेपण की राह में आड़े आया। ऐसे कई मौके आ चुके हैं जब भारतीय उपग्रहों को ऐसी बाधाओं को पार करना पड़ा है। पिछली बार छठे नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एफ के प्रक्षेपण के दौरान पीएसएलवी सी-32 की राह में अंतरिक्ष कचरा बाधा बना और खतरे से बचने के लिए मिशन में एक मिनट की देरी की गई। वहीं पीएसएलवी सी-23 के प्रक्षेपण के दौरान अंतरिक्षीय कचरा रास्ते में आया और उससे बचने के लिए मिशन में तीन मिनट की देरी की गई। अंतरिक्ष विशेषज्ञों के मुताबिक लगभग 17 हजार ऐसे अंतरिक्षीय कचरे हैं जो 4 इंच से अधिक बड़े आकार के हैं और पृथ्वी की कक्षा में चक्कर काट कर रहे हैं। ये पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा कर रहे उपग्रहों और छोड़े जाने वाले मिशनों की राह में गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं। अमरीकी एजेंसी के मुताबिक 1 से 3 इंच के 20 हजार से अधिक अंतरिक्षीय कचरे पृथ्वी की निचली कक्षाओं में चक्कर काट रहे हैं। जबकि एक इंच से छोटे लाखों-करोड़ों टुकड़े हैं जो भविष्य के मिशनों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इनमें से अधिकांश पुराने उपग्रहों के अवशेष अथवा अंतरिक्ष में छोड़े जाने वाले रॉकेटों के टुकड़े हैं। इसरो के एक पूर्व अधिकारी ने कहा था कि 1 अप्रेल 2017 तक धरती की निचली कक्षाओं में चक्कर काटने वाले पिंडों में भारतीय पिंडों की सं या 192 थी। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने त्रैमासिक अंक ‘आर्बिटल डेबरिसÓ में इनके बारे में विवरण प्रकाशित किया था।
इन कचरों पर अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) नजर रखती है जिसका सदस्य भारत भी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित करते वक्त इन कचरों से टकराने की आशंका बनी रहती है। पूर्व इसरो अध्यक्ष माधवन नायर के अनुसार अंतरिक्षीय कचरा एक ज्वलंत मुद्दा है और गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि, किसी उपग्रह से टकराने की इसकी संभावना फिलहाल नगण्य है। लगभग 10 लाख में से सिर्फ एक बार ऐसा हो सकता है। मगर वैज्ञानिकों के समक्ष यह एक बड़ी चुनौती है। इसपर सतत निगाह रखनी होगी क्योंकि लगभग 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की र तार से पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर काट रहे ये टुकड़े उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं।

कचरे और प्रक्षेपण में विलंब

दिनांक प्रक्षेपण यान उपग्रह प्रक्षेपण में देरी

12 जनवरी 2018 पीएसएलवी सी-40 कार्टोसैट सहित 31 उपग्रह 1 मिनट
10 मार्च 2016 पीएसएलवी सी-32 आईआरएनएसएस-1एफ 1 मिनट
23 जून 2014 पीएसएलवी सी-23 स्पॉट-7 सहित पांच विदेशी उपग्रह 3 मिनट
9 सित बर 2012 पीएसएलवी सी-21 स्पॉट-6 (छह बड़े कचरे सामने आए) 2 मिनट
12 अक्टूबर 2011 पीएसएलवी सी-18 मेघा ट्रॉपिक्स 1 मिनट
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