scriptपीयू कॉलेज नहीं चला सकेंगे एकीकृत कोचिंग क्लासेस | PU College will not run integrated coaching classes | Patrika News

पीयू कॉलेज नहीं चला सकेंगे एकीकृत कोचिंग क्लासेस

locationबैंगलोरPublished: May 21, 2019 12:41:35 am

प्रतियोगी परीक्षा के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने वाले प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों को डिपार्टमेंट ऑफ प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन (डीपीयूइ) ने चेताया है।

पीयू कॉलेज नहीं चला सकेंगे एकीकृत कोचिंग क्लासेस

पीयू कॉलेज नहीं चला सकेंगे एकीकृत कोचिंग क्लासेस

बेंगलूरु. प्रतियोगी परीक्षा के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने वाले प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों को डिपार्टमेंट ऑफ प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन (डीपीयूइ) ने चेताया है। डीपीयूइ के अनुसार कई पीयू कॉलेज दाखिला देते समय विद्यार्थियों को सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीइटी), ज्वाइंट एंट्रेंस एक्जाम (जेइइ), राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनइइटी) आदि प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार करने के नाम पर एकीकृत पाठ्यक्रम की पेशकर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। जो नियमों का उल्लंघन है।


डीपीयूइ की निदेशक सी शिखा ने बताया कि बाहरी संस्थानों की मदद से या फिर डीपीयूइ की ओर से प्रस्तावित पाठ्यक्रम से बाहर के पाठ्यक्रमों का इस्तमाल कर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एकीकृत कोर्स या ब्रिज कोर्स का संचालन गैर कानूनी है। ऐसे कॉलेजों को डीपीयूइ गत तीन वर्षों से चेतावनी दे रहा है। लेकिन कॉलेज बाज नहीं आ रहे हैं। संबद्धता रद्द करने का प्रावधान है। डीपीयूइ ने मामले को गंभीरता से लिया है। पकड़े जाने पर ऐसे कॉलेजों की संबद्धता रद्द कर दी जाएगी। इन कॉलेजों पर डीपीयूइ की नजर है। विद्यार्थी और अभिभावक चाहें तो शिकायत दर्ज करा सकते हैं।


हालांकि ऐसे कॉलेजों के प्रबंधनों का कहना है कि एकीकृत या ब्रिज कोर्स विद्यार्थियों का अधिकार है। ऐसे कोर्स को रोकने के लिए कोई सरकारी प्रावधान नहीं है। ना ही डीपीयूइ के नियमों में कोई उल्लेख। शिक्षाविदों आरोप है कि ऐसे कॉलेजों को रोकने की दिशा में डीपीयूइ गंभीर नहीं है। गत तीन वर्षों से डीपीयूइ कॉलेजों को चेताता आ रहा है। अब तक किसी भी कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। दाखिला संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर डीपीयूइ अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेता है।

लोक शिक्षण विभाग से केएएमएस नाराज
बेंगलूरु. एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ प्राइमरी एंड सेकेंडरी स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) ने लोक शिक्षण विभाग (डीपीआइ) और प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव उमाशंकर को एक ज्ञापन सौंपकर न्याय की मांग की है।

केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार के रविवार को बताया कि शिक्षा का अधिकार (आरटीइ) अधिनियम के तहत गैर अनुदानित निजी स्कूलों में दाखिल बच्चों की फीस के भुगतान के लिए प्रदेश सरकार ने २४ अप्रेल को १२५ करोड़ रुपए जारी किए थे। साथ में लोक शिक्षण विभाग के उप निदेशकों (डीडीपीआइ) को दिशा-निर्देश जारी किए थे कि जो स्कूल अब तक भुगतान से वंचित हैं, सबसे पहले उन्हें प्राथमिकता दी जाए। लेकिन उप निदेशकों ने दिशा-निर्देश को नजरअंदाज कर रखा है।

उप निदेशकों ने अब तक १२५ करोड़ रुपए में से २४.१९ करोड़ रुपए ही स्कूलों को जारी किए हैं। इनमें भी ऐसे कई स्कूल हैं, जिन्हें दूसरी बार शुल्क भुगतान किया गया है। शशिकुमार ने कहा कि उप निदेशकों के इस रवैये से स्कूलों को नुकसान हो रहा है। सत्र २०१७-१८ की बात करें तो ६०० करोड़ रुपए से भी ज्यादा का प्रतिपूर्ति शुल्क लंबित है। शिक्षा विभाग और डीपीआइ अगर एम सप्ताह में समस्याओं का समाधान नहीं करती है तो केएएमएस बड़ी संख्या में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के कार्यालय के बाहर धरना देगा। शशिकुमार ने बताया कि उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर को भी ज्ञापन की प्रति भेजी है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो