scriptवर्षी तप पारणा से धरा पावन | Purpose of the year with a penance | Patrika News

वर्षी तप पारणा से धरा पावन

locationबैंगलोरPublished: Apr 19, 2018 07:49:10 pm

Submitted by:

Sanjay Kumar Kareer

शहर भर में करीब सौ से अधिक तपस्यिों ने वर्षीतप का पारणा किया

parana
बेंगलूरु/मैसूरु. आई सिटी बेंगलूरु में अक्षय तृतीया के अवसर पर बुधवार को संतों के सान्निध्य में सैकड़ों वर्षीतप के तपस्वी इक्षु रस (गन्ने का रस) से पारणा किया। शहर भर में करीब सौ से अधिक तपस्यिों ने वर्षीतप का पारणा किया। तपस्वियों के पारणे से बेंगलूरु की धरती पावन हो गई। इस अवसर पर तपस्वियों का संघ एवं सगे संबंधियों की ओर से सम्मान किया गया। संतों के सान्निध्य में विभिन्न संघों की ओर से कई स्थानों पर तपस्वियों के इक्षु रस पारणे की व्यवस्था की गई थी।
सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में बुधवार को आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर की प्रेरणा से प्रवर्तक कलापूर्ण विजय के सान्निध्य में वर्षीतप पारणा हुआ। तपस्वी बाजे-गाजे के साथ दादा आदिनाथ दरबार पहुंचे, जहां इक्षु रस से परमात्मा का अभिषेक हुआ। धर्म सभा में आचार्य ने प्रवर्तक ने कहा कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की पावन स्मृति वाला वर्षीतप जैन संस्कृति का प्राचीन तप सबसे बड़ा है। आज के दिन से ही दान, पुण्य की शुरुआत हुई। तप से आत्मा समृद्ध होती है। महेन्द्र कुमार वाणीगोता के वर्षीतप निमित्त मुख्य लाभार्थी वाणीगोता परिवार रहे। श्रेयांशकुमार बनने का लाभ पारसमल विमल सुरेश हार्दिक जीरावाला परमार ने लिया। संचालन अश्विनभाई ने किया।
समणी सेंटर में जयधुरंधर मुनि ने कहा कि आज ही के दिन दान-धर्म प्रकट हुआ। प्रभु ऋषभदेव की ४०० दिन की निराहार उग्र तपस्या का पारणा वैशाख शुक्ल तृतीया को श्रेयांश कुमार के हाथों इक्षु रस रूपी सुपात्रदान से हुआ। उसी परम्परा को अक्षुण्ण रखते हुए अनेक तपस्वी और वर्षी तप की आराधना करने वाले आज ही के दिन पारणा करते हैं। मुनि ने कहा कि आज ही के दिन जैन संत जयमल को आचार्य का पद प्रदान किया गया। सबसे प्राचीन जयसंघ का प्रादुर्भाव हुआ। मुनि बुधवार को श्रीरामपुरम मेट्रो स्टेशन के पास स्थित समणी सेन्टर में पारणा महोत्सव के अवसर पर आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर जयकलश मुनि, जयपुरन्दर मुनि ने गीतिका प्रस्तुत की।
चेन्नई के ज्ञानचंद मुणोत, बेंगलूरु से माणकबाई सियाल, लीलाबाई सुराणा, कांताबाई बांठिया, राजकंवर लोढ़ा, निर्मला रांका, मंजू देवी मेहता, दीपिका सिंघवी, शोभा बाफणा संघ और सियाल परिवार की ओर से सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मीठालाल मकाना, हुकुमीचंद लुंकड़, महावीर श्रीश्रीमाल, कनकराज चौरडिय़ा, राजेश गौड़ावत, अरुण, गौड़ावत, अमरचंद चौरडिय़ा, महेन्द्र श्रीश्रीमाल, उत्तमचंद खींचा, मानमल बोहरा, ज्ञानचंद मकाना, महेन्द्र चौरडिय़ा, रमेश कुमार सियाल, जेपी अहिंसा रिसर्च फाउंडेशन के राष्ट्रीय महामंत्री महावीर चौरडिय़ा आदि उपस्थित थे। संचालन मनोहर डूंगरवाल ने किया।
मैसूरु के नंजनगुड़ में साध्वी लब्धिश्री ने अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान ऋषभदेव का जीवन प्रतिबिंबित किया। साध्वी ने अक्षय तृतीया गीत को स्वर दिया। उन्होंने सम्यक के बाद तेरह भवों का आकर्षक चित्रण भी किया। कर्मयुग और धर्मयुग के बारे में भी जानकारी दी। कन्या मंडल सह ज्ञानशाला के बच्चों ने ‘राजकुमार श्रेयांश द्वारा भगवान ऋषभ का पारणाÓ की रोचक प्रस्तुति दी। मैसूरु तेरापंथ सभा के अध्यक्ष उत्तमचंद भटेवरा व युवक परिषद के अध्यक्ष दिनेश दक ने रचना प्रस्तुत की। कल्पना दक ने आभार जताया।
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