scriptमन को निर्मल बनाने का पर्व है पर्युषण | Purushottam is the festival of making the mind pure | Patrika News

मन को निर्मल बनाने का पर्व है पर्युषण

locationबैंगलोरPublished: Sep 08, 2018 10:07:05 pm

महावीर धर्मशाला में जयधुरंधर मुनि ने कहा कि पर्युषण पर्व, पवित्रता, प्रसन्नता एवं मन को निर्मल बनाने का पर्व है।

मन को निर्मल बनाने का पर्व है पर्युषण

मन को निर्मल बनाने का पर्व है पर्युषण

बेंगलूरु. महावीर धर्मशाला में जयधुरंधर मुनि ने कहा कि पर्युषण पर्व, पवित्रता, प्रसन्नता एवं मन को निर्मल बनाने का पर्व है। जीवन की सरगम पर स्नेह प्रेम का सुर बजाने वाला कोई पर्व है तो वह पर्युषण पर्व है। एक वर्ष से इंतजार के बाद यह पर्व हमारे समक्ष उपस्थित है, लेकिन इसके साथ ही परीक्षा की बेेला भी प्रारंभ हो गई। इसी के अंतर्गत इस पर्व के दिनों में व्यक्ति के मनोबल, इच्छाशक्ति, त्याग आदि की परीक्षा होती है।

प्रारंभ में जयकलश मुनि ने गीतिका ‘जीवन में खुश्यिों लाए हो..’ का संगान किया। जयपुरंदर मुनि ने अंतगड़ सूत्र का वाचन किया। तपस्वियों ने व्रत प्रत्याख्यान अंगीकार किए। दोपहर में कल्पसूत्र वाचन किया गया। गुरुवार को संपन्न धार्मिक प्रतियेागिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। रविवार को पुरुष वर्ग के लिए सामूहिक भिक्षु दया का आयोजन होगा।

परमात्मा नमन से कषायों का दमन
बेंगलूरु. जिनकुशल सूरी जैन आराधना भवन बसवनगुड़ी में साध्वी प्रियरंजनाश्री ने कहा कि पर्व कषायों का दमन, भोगवृत्ति का शमन और परमात्मा को नमन करने का है। उन्होंने कहा कि पर्व के आठ दिनों में हम परमात्मा को नमन करेंगे, पूजा करेंगे, सेवा करेंगे तो परमात्मा के गुण, परमात्मा की ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवेश करेगी।

कषायों का दमन और भोगवृत्ति का शमन स्वत: हो जाएगा। गुरुओं को वंदन करने से विनय का गुण हमारे शरीर में प्रवेश करेगा तो जीवन से अहंकार बाहर निकलेगा। मध्याह्न में महिला मंडल द्वारा नवपद पूजा व रात्रि में भक्ति भावना की गई। संगीत मंडल ने भक्ति की रमझट मचाई।

पर्युषण उत्तम और पवित्र पर्व
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने कहा कि पर्युषण उत्तम और पवित्र पर्व है। जिनेश्र परमात्मा के पवित्र जिन शासन में अनेकानेक विशिष्ट कोटि के पर्व हैं परंतु उन सब पर्वों में पर्युषण महापर्व सर्वोत्कृष्ट और शिरोमणि पर्वाधिराज पर्व है। उन्होंने कहा कि यह आत्म खोज का अमूल्य अवसर है। पर्युषण यानी विषय और कषाय के ताप संताप से संतप्त बनी हुई आत्माओं के चित्त में, मन में अपूर्व शीतलता प्राप्त कराने का विराट विस्तारित वटवृक्ष पर्युषण पर्व पांच कर्तव्य अमारि प्रवर्तन, साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, अ_म तप व चैत्य परिपाटी है।

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