नगर निगम के नलवाडी कृष्णराजा वाडियार सभागार में शनिवार को हुए चुनाव में वार्ड 11 से कांग्रेस की पार्षद पुष्पा जगन्नाथ महापौर और वार्ड 31 से जद-एस के पार्षद शफी अहमद उपमहापौर चुने गए।
विपक्षी भाजपा ने भी दोनों पदों के लिए उम्मीदवार उतारे थे और सीधे मुकाबले में दोनों पदों पर गठबंधन कब्जा करने में सफल रहा। पुष्पा को 48 मत मिले जबकि महापौर पद की भाजपा उम्मीदवार सुनंदा पी को 24 मत ही मिले।
उपमहापौर पद के लिए शफी ने भाजपा के सतीश को हराया। शफी को 48 और सतीश को 24 मत मिले। जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 37 मतों की आवश्यकता थी। पांच साल बाद मैसूरु में कांग्रेस को महापौर का पद मिला है। पिछली बार भाजपा और जद-एस के बीच गठजोड़ था और पूरे पांच साल महापौर का पद जद-एस के पास रहा था।
दोनों दलों के बीच हुए समझौते के बाद महापौर का पद पांच साल के कार्यकाल के दौरान दो बार कांग्रेस और तीन बार जद-एस के पास रहेगा। उपमहापौर का पद तीन बार रहेगा। कांग्रेस के पास पहले और तीसरे वर्ष में महापौर का पद रहेग जबकि दूसरे, चौथे और पांचवें वर्ष में यह जद-एस के पास रहेगा। जब महापौर का पद जब जद-एस के पास रहेगा तब उपमहापौर कांग्रेस को मिलेगा। दोनों पदों का कार्यकाल सिर्फ साल भर का होता है।
शुक्रवार तक दोनों दलों के बीच खींचतान चल रही थी लेकिन देर रात वरिष्ठ नेताओं के बीच सहमति बन जाने के बाद शनिवार को चुनाव काफी सामान्य तरीके से हो गया। जद-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के निर्देश के बाद जिला प्रभारी मंत्री जी टी देवेगौड़ा और पर्यटन मंत्री एस आर महेश चुनाव के दौरान मौजूद रहे।
चुनाव से पहले ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री कृष्ण बैरेगौड़ा ने कहा कि मैसूरु शहर को विकासोन्मुख प्रशासन देने के लिए निगम में कांग्रेस तथा जद-एस ने गठबंधन का फैसला किया है। उच्च शिक्षा मंत्री जी. टी. देवेगौडा ने कहा कि जद-एस ने भी महापौर पद के लिए दावेदारी पेश की थी लेकिन कांग्रेस ने पार्टी को पांच वर्षों के लिए विधानसभा में समर्थन दिया है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए उनकी पार्टी ने मैसूरु में महापौर के पद के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी का समर्थन करने का फैसला किया। देवेगौड़ा ने कहा कि पार्टी ने भाजपा से मुकाबला और गठबंधन के दीर्घकालिक हितों को देखते हुए यह फैसला लिया है। पत्रकार वार्ता में महेश तथा पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता तनवीर सेत भी उपस्थित थे।
अगस्त में हुए चुनाव में निगम में भाजपा के सर्वाधिक 22 सदस्य होने के बावजूद कांग्रेस और जद-एस के गठबंधन ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने में सफलता हासिल की। 65 सीटों की इस महानगर पालिका में भाजपा के 22, कांग्रेस के 19, जनता दल-एस के 18, बसपा के 1 तथा 5 निर्दलीय पार्षद हैं। स्थानीय सांसद, विधायक तथा विधान परिषद सदस्यों ने मतदान में भाग लिया।
चुनाव में कांगे्रस के पास एक विधायक और एक विधान पार्षद के साथ 21 मत थे जबकि जद-एस के पास एक विधायक और तीन विधान पार्षदों के साथ 22 और भाजपा के पास एक सांसद व दो विधायकों सहित 25 मत थे।
हालांकि, सांसद प्रताप सिम्हा मतदान के समय मौजूद नहीं थे जबकि भाजपा के बागी एम वी रामप्रसाद महापौर व उपमहापौर चुनाव के दौरान तटस्थ बने रहे। सदन में संख्या बल होने के बावजूद गठबंधन को बसपा के इकलौते और 4 निर्दलीय पार्षदों का साथ मिला। चुनाव से पहले नवनिर्वाचित पार्षदों को शपथ दिलाई गई। बाद में स्थायी समितियों के सदस्यों के चुनाव भी हुए।