बेंगलूरु. जल संसाधन मंत्री डी.के.शिवकुमार ने कहा कि अपनी मांगें मनवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख-लिख कर दवाब डालना तार्किक नहीं है। यहां शनिवार को उन्होंने कहा कि प्रशासनिक मजबूरियों के कारण मुख्यमंत्री एच .डी कुमारस्वामी हर नेता की मांग पूरी नहीं कर सकते है। इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए हमें इस गठबंधन सरकार को पांच वर्षों तक चलाना है इसमे पार्टी के हर नेता का सहयोग अनिवार्य है। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या स्वयं समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं। ऐसे में समन्वय समिति की बैठक में ही मामलों का समाधान किया जा सकता है। इस विकल्प को छोड़कर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उसे सार्वजनिक करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के अनुसार अन्नभाग्य योजना के अंतर्गत 7 किलो के बदले 5 किलो चावल वितरित करने से राज्य सरकार को 2500 करोड़ रुपए की बचत होगी, इसलिए यह कटौती की गई है। जबकि यह वास्तविकता यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने वर्ष 2018-19 के बजट में इस योजना के लिए केवल 1000 करोड़ रुपए का आवंटन किया था। हाल में लिखे एक पत्र में सिद्धरामय्या ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के सिंडिकेट सदस्यों को यथावत रखने की मांग की है। तो दूसरे पत्र में अन्नभाग्य योजना में दो किलो चावल की कटौती तथा पेट्रोल, डीजल की सेस वृद्धि वापस लेने की मांग की थी। ऐसे पत्र सार्वजनिक होने से गठबंधन सरकार की छवि बिगड़ रही है। लोगों को इस सरकार की स्थिरता को लेकर आशंका पैदा हो रही है। ऐसे में गठबंधन सरकार के बीच कैसे समन्वय स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि बजट में कावेरी जलबहाव क्षेत्र की सिंचाई के लिए 2500 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हंै। अन्य 6 हजार करोड़ रुपए का आवंटन उत्तर कर्नाटक की सिंचाई परियोजनाओं के लिए किया गया है। इसलिए पूर्व मंत्री एच.के.पाटिल का उत्तर कर्नाटक की अनदेखी का आरोप बेबुनियाद है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कावेरी जलविवाद को लेकर 18 जुलाई को दिल्ली के कर्नाटक भवन में राज्य के सांसदों की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी करेंगे। वे भी इस बैठक में उपस्थित रहेंगे।