इसरो ने जानकारी दी है कि हैदराबाद स्थित ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ और ‘अग्निकुल कॉसमॉस’ के साथ करार किया है। ये स्टार्टअप्स कंपनियां इसरो की प्रयोगशालाओं और सुविधा केंद्रों का इस्तेमाल अपने उपकरणों, प्रणालियों या उप-प्रणालियों आदि के परीक्षण में कर सकती हैं। स्काईरूट हैदराबाद की कंपनी है जबकि अग्निकुल चेन्नई आधारित है। दोनों कंपनियां प्रक्षेपण यानों (रॉकेट) का विकास कर रही हंै। अग्निकुल 3डी सेमी-क्रायोजेनिक इंजन और अन्य प्रणालियों का परीक्षण इसरो के विभिन्न संस्थानों में कर सकती है। कंपनियों को इसरो की विशेषज्ञता का लाभ भी मिलेगा।
इसके अलावा इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) में स्थापित बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस कंपनी की प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। इस प्रयोगशाला की स्थापना निजी फंडिंग से हुई है और यहां हरित रासायनिक प्रणोदक तकनीकों (ग्रीन प्रोपलेंट) का परीक्षण संभव हो सकेगा। शिवन ने इस अत्याधुनिक प्रयोगशाला की सुविधाओं के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए इसकी सराहना की।
इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि इन तमाम समझौतों का मसौदा सावधानीपूर्वक जांच के बाद तैयार किया गया कि ये कंपनियां क्या-क्या कर रही हैं। यह अभी शुरुआत है और आने वाले महीनों में निजी उद्योगों की सक्रियता और बढ़ेगी। इसरो बेंगलूरु आधारित एक कंपनी पिक्सल के उपग्रह का लांच भी करेगी। इससे जुड़ी प्रक्रियाएं प्रगति पर हैं। इस उपग्रह का प्रक्षेपण पीएसएलवी से किया जाएगा। संभवत: इसरो के अगले मिशन के बाद इसका प्रक्षेपण किया जाएगा। इसके लिए वाणिज्यिक करार किया गया है।
इस बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गठित नोडल एजेंसी इन-स्पेस के बोर्ड का गठन हो गया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व प्रबंधन निदेशक पवन गोयनका को इन-स्पेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसमें एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर.माधवन सहित इसरो, आइआइएससी, आइआइटी मद्रास और जेएनयू के भी प्रोफेसर हैं।