उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय को हटाकर बच्चों को भगवाकरण ( saffronisation ) के बारे में पढ़ाया जाना देश की विविधता का अपमान है। राज्य के लोगों ने हमेशा सामाजिक न्याय, एकजुटता और मानवतावाद के सिद्धांतों का अनुसरण किया है। भाजपा पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से डॉक्टर भीमराव आंबेडकर, बुद्ध-बसवण्णा, नारायण गुरू, कुवेम्पु जैसे कई महान व्यक्तियों की जीवन के खिलाफ संदेशों के बारे में बच्चों को पढ़ाने जा रही है।
राहुल गांधी ने कहा, राज्य के एक करोड़ बच्चों के भविष्य का फैसला अयोग्य हाथों में सौंपा जा रहा है। सामाजिक न्याय, क्षेत्रवाद और लैंगिक समानता को हटाकर बच्चों को भगवाकरण के बारे में पढ़ाना भारत की विविधता का अपमान है। कन्नड़ लोगों ने कई बार दिखाया है कि जब भी राज्य के आत्मसम्मान पर चोट की जाती है तो हर कोई एकजुट हो जाता है।
चक्रतीर्थ समिति को भंग करना पर्याप्त नहीं
इस बीच नेता प्रतिपक्ष सिद्धरामय्या ने कहा कि चक्रतीर्थ समिति को भंग करना ही पर्याप्त नहीं है। अगर पूर्वाग्रह से ग्रसित अध्यक्ष को हटा दिया जाता है, तो उनकी समिति द्वारा संशोधित पाठ्यपुस्तकों को कैसे स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से सवाल पूछते हुए कहा 'मुख्यमंत्री ने कहा है कि सभी आपत्तियों को सुनने के बाद बसवण्णा पर पाठ को संशोधित किया जाएगा। क्या इसका मतलब यह है कि इस शैक्षणिक वर्ष के लिए संशोधित पाठ्यपुस्तक को हटा दिया जाएगा?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कई वरिष्ठ लेखकों ने संशोधित पाठ्यपुस्तकों से अपने काम वापस ले लिए हैं। इन विवादास्पद संशोधित पाठ्यपुस्तकों का उपयोग स्कूलों में कैसे किया जा सकता है? इस भ्रम का एकमात्र समाधान इन विवादास्पद संशोधित पाठ्यपुस्तकों को रद्द करना है। एक नई समिति गठित की जानी चाहिए और पुरानी पाठ्यपुस्तकों का उपयोग जारी रखना चाहिए। प्रख्यात लेखकों और बुद्धिजीवियों पर चक्रतीर्थ की टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।