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बैंगलोर

कर्नाटक : मानव बस्तियों में हाथी नहीं मचा पाएंगे हुड़दंग

Rail barricade to keep elephants out to human habitation
मानव-हाथी संघर्ष रोकने के लिए 515 किमी में होगी रेल बैरिकेटिंग

बैंगलोरOct 04, 2019 / 07:35 pm

Priyadarshan Sharma

कर्नाटक : मानव बस्तियों में हाथी नहीं मचा पाएंगे हुड़दंग

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बेंगलूरु. राज्य के वन क्षेत्रों में मानव-पशु संघर्ष, विशेषकर हाथियों के मानव बस्तियों में प्रवेश की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने अगले तीन वर्ष के दौरान 515.50 किलोमीटर वन क्षेत्र में रेल पटरी बैरिकेट लगाने का निर्णय किया है। इसके तहत वन क्षेत्रों की सीमाओं को रेल पटरी के सहारे छह से आठ ऊंचाई में घेरा जाता है जिससे हाथी इस बाड़ेबंदी को फांदकर गांवों में प्रवेश नहीं कर पाता है।
628 करोड़ रुपए की इस परियोजना के पहले चरण में 100 करोड़ रुपए की लागत से 118 किलोमीटर वन क्षेत्र में बैरिकेटिंग की जाएगी। मानव-हाथी संघर्ष रोकने की इस परियोजना पर प्रति किलोमीटर 1.20 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके तहत नागरहोले बाघ रिजर्व में 19 किमी, बंडीपुर में 17 किमी, मडिकेरी में 19 किमी, विराजपेट में 3 किमी, कोलेगल के माले महादेश्वर में 13 किमी, कावेरी वन्यजीव अभयारण्य मं 15 किमी, रामनगर में 6 किमी, बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क में 15 किमी और हासन में 6 किमी वन क्षेत्र में रेल पटरी बैरिकेटिंग होगी।
कर्नाटक के जंगलों में देश में सर्वाधिक संख्या में हाथी और बाघ हैं। इसी कारण राज्य में मानव-पशु संघर्ष की घटनाएं भी अक्सर देखने को मिलती हैं जिसमें कई बार न सिर्फ मवेशियों बल्कि इंसानों को भी जान गंवानी पड़ती है, जबकि फसल नुकसान की कई घटनाएं होती हैं। वहीं कुछ मामलों में बाघ और हाथी भी भीड़ का शिकार बन जाते हैं। राज्य के विधि मंत्री माधुस्वामी का मानना है कि इसका मुख्य कारण वन्यजीवों का आवासीय इलाकों में प्रवेश करना है। इसलिए राज्य सरकार ने वन्यजीवों को अपने प्राकृतिक निवास क्षेत्र तक सीमित करने और संघर्ष टालने के लिए रेल पटरियों से बैरिकेटिंग करने को मंजूरी दी है।
बैरिकेटिंग में फंसकर मर चुके हैं हाथी
मानव हाथी संघर्ष रोकने में रेल पटरी बैरिकेटिंग को सबसे कारगर माना जाता है। हालांकि पिछले वर्ष 15 दिसंबर 2018 को नागरहोले में रेल पटरी बैरिकेटिंग में फंसकर एक हाथी को जान गंवानी पड़ी थी। बैरिकेटिंग में फंसकर हाथी की मौत का यह पहला मामला था। वन विभाग ने इससे सबक लेते हुए पुराने बैरिकेटिंग की उचित ऊंचाई की पड़ताल करने और नए बैरिकेटिंग में हाथियों की सुरक्षा पर ध्यान देने पर जोर दिया है।
नागरहोले में 6000 हाथियों का बसेरा
नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान करीब 6000 हाथियों के बसेरे के साथ एशियाई हाथी का सबसे बड़ा निवास हिस्सा है। इसका कुछ भाग तमिलनाडु और केरल के कई राष्ट्रीय उद्यानों तक फैला है। हालांकि, वन मंत्रालय के आधिकारिक अनुमान के अनुसार हर साल दुर्घटनाओं या अवैध शिकार और जहरखुरानी के कारण लगभग 80 हाथी मर जाते हैं।

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