वर्षाकाल बहुत सावधानी का काल-आचार्य महेन्द्रसागर
धर्मसभा का आयोजन
बैंगलोर
Published: July 28, 2022 07:44:05 am
हासन.आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ हासन में विराजित आचार्य महेन्द्रसागर सूरी ने प्रवचन में कहा कि वर्षावास काल चल रहा है। वर्षावास के ये चार महिने किसानों के लिए बीजारोपण के दिन होते हैं। फसल प्राप्त करने के लिए पुरुषार्थ के दिन रोते हैं। क्योंकि प्रकृति सारी अनुकूलताएं प्रदान करती है। इन दिनों में अध्यात्म जगत में भी वर्षावास के ये दिन कर्म निर्जरा के लिए बनते हंै। इन दिनों की स्थितियां बदलती हंै, वातावरण भी बदलता है, वायुमंडल भी बदलता है। यहां तक कि सूरज की रोशनी में भी अंतर आता है। गर्मी भी अलग तरह की हो जाती है। कभी ठंडी हवाएं बहने लगती हैं तो कभी बरसात की बौछारें चलती हैं। कभी उमस के कारण उष्णता का अनुभव होने लगता है। यूं एक ही दिन हम ठंड और गर्मी का अनुभव करते हैं। सूरज की पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाने के कारण मौसम और वायुमंडल का प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है। जो योग्यता शीत ऋतु में होती है शरीर की और जो योग्यता ग्रीष्म ऋतु में होती है। हमारे शरीर की उस योग्यता में परिवर्तन आता है और सबसे अधिक परिवर्तन आता है पाचन तंत्र में। क्योंकि इन दिनों पाचन तंत्र थोड़ा अव्यवस्थित हो जाता है। इसलिए वर्षाकाल बहुत सावधानी का काल है और हर दृष्टि से जागृति का काल है। शरीर की दृष्टि से भी और आत्मा की दृष्टि से भी। मगर हम वर्षावास के दिनों को भी अन्य दिनों की तरह लेते हैं। यही कारण है कि शरीर व्याधिग्रस्त हो जाता है। शारीरिक स्वास्थ्य के हिसाब से विशेष रूप से तप साधना का काल है और साधना आत्मा को जानने के लिए होती है।

वर्षाकाल बहुत सावधानी का काल-आचार्य महेन्द्रसागर
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