




माइक्रोलैब्स के सीएमडी दिलीप सुराणा ने कहा कि कर्नाटक के विकास में राजस्थानियों को बहुत बड़ा योगदान है। राजस्थानी प्रवासियों ने मातृभूमि के साथ कर्म भूमि कर्नाटक के लिए बहुत कुछ किया है। राजस्थानी प्रवासी यहां सभी के साथ समन्वय के साथ जहां व्यापार करते हैं। वहीं कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक, शैक्षणिक, चिकित्सा, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीति के क्षेत्र में राजस्थानियों ने अपनी अनूठी पहचान बनाई है। कोरोना जैसी महामारी हो या फिर बाढ़ या फिर कोई अन्य आपदा राजस्थानी प्रवासी हर समय सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। यहां कि गौरवशाली संस्कृति के साथ जुडक़रि तन,मन और धन से सेवा कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
राजस्थानी दूध में शक्कर की तरह
आदर्श शिक्षा संघ के अध्यक्ष पदमराज मेहता ने कहा कि राजस्थानियों का कर्नाटक के विकास में योगदान है और राजस्थानी कर्नाटक के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी आपदा हो या फिर बाढ़ या अन्य कोई विपदा राजस्थानी प्रवासी हमेशा पीडि़तों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान हमारी जन्मभूमि जरूर है। लेकिन कर्म भूमि हमारी कर्नाटक है। यहां हमारी आन, बान और शान है। उन्होंने सभी प्रवासियों से कर्नाटक के विकास में हमेशा तत्पर रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हमारी आत्मा बसती है। राजस्थानी यहां दूध में शक्कर की तरह रहता है। इसे अलग नहीं किया जा सकता है।
आदर्श शिक्षा संघ के अध्यक्ष पदमराज मेहता ने कहा कि राजस्थानियों का कर्नाटक के विकास में योगदान है और राजस्थानी कर्नाटक के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी आपदा हो या फिर बाढ़ या अन्य कोई विपदा राजस्थानी प्रवासी हमेशा पीडि़तों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान हमारी जन्मभूमि जरूर है। लेकिन कर्म भूमि हमारी कर्नाटक है। यहां हमारी आन, बान और शान है। उन्होंने सभी प्रवासियों से कर्नाटक के विकास में हमेशा तत्पर रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हमारी आत्मा बसती है। राजस्थानी यहां दूध में शक्कर की तरह रहता है। इसे अलग नहीं किया जा सकता है।
कोरोना काल में भी अपार सेवा
जीतो केकेजी जोन के अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह सामर ने कहा कि राजस्थानी समाज कर्नाटक के विकास में अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है। कर्नाटक के व्यापार वृद्धि में छोटे से लेकर छोटे कार्य और लेकर बड़े से बड़े व्यापार में संजीदगी से अपनी भूमिका निभाई है। पिछले कई वर्षों का इतिहास देखा जाए तो व्यापार में आने के साथ राजस्थानियों की भूमिका कर्नाटक से जुडऩे की रही है। कर्नाटक प्रांत को राजस्थानियों ने अपनी कर्मभूमि माना है। यहां के लोगों के साथ में मिलजुलकर सेवा का परिचय भी दिया है। सेवा के कई प्रतिकों में देखा जाए तो गत कोरोना काल में जब लोग घर के दरवाजे पर आने से भी कतराते थे। उस समय राजस्थानी प्रवासियों ने जान की परवाह किए बिना कर्नाटक के भाइयों की सेवा के लिए कई कदम उठाए। उपचार के लिए अस्पताल खोले, घर-घर राशन व खाने के पैकेट भी वितरित किए।
दो सौ साल से ज्यादा पुराना है जुड़ाव
बिल्डर अनिलकुमार कोठारी ने कहा कि राजस्थानियों का कर्नाटक के विकास का दो सौ साल पुराना इतिहास है। राजस्थानियों ने उस समय कर्नाटक की धरती पर कदम रखा जब ट्रेन में नहीं थी। लोग ऊंट गाडिय़ों व बैलगाडिय़ों से महिनों का सफर करके पहुंचे थे। कर्नाटक के हर छोटे-बड़े शहर व गांव तक राजस्थानियों का निवास व काम काज भी है। विकास की दृष्टि से बात की जाए तो हर क्षेत्र में राजस्थानियों का योगदान है। स्थानीय लोगों के साथ दूध में शक्कर की तरह पूरी तरह मेल मिलाप है। राजस्थानी अब अपने आप को कर्नाटक का निवासी बताने लगे हैं। अक उनकी पहचान राजस्थान नहीं कर्नाटक हो गई है। राजस्थानी लोग यहां हर क्षेत्र में तन,मन और धन से सेवा कर रहे हैं। राजस्थानी प्रवासियों ने यहां अपने उद्योग धंधों में स्थानीय लोगों को रोजगार दिया है। वहीं राजनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं।
कंधे से कंधा मिलाकर कर रहे विकास
जीतो के कोषाध्यक्ष व सीए राजेश मेहता ने कहा कि कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में राजस्थानियों का करीब ३० प्रतिशत अंशदान है। कर्नाटका बड़ा उद्योग समूह व व्यापार राजस्थानियों के पास है। सामान्यत: राजस्थानी व्यापारी जीएसटी व आयकर नियमित रूप से देते हैं। उन्होंने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था में मूलत: राजस्थानी जैनियों का बड़ा योगदान है। इससे कर्नाटक अछूता नहीं है। कर्नाटक के विकास में राजस्थानियों का बहुत बड़ा योगदान है। इनमें विद्यालय, कॉलेज, अस्पताल तक राजस्थानियों की ओर संचालित किए जा रहे हैं। कोरोना जैसी महामारी, बाढ़ व किसी भी तरह की आपदा के समय राजस्थानी समाज हर समय सेवा के लिए तत्पर रहता है। कोरोना के दौरान राजस्थानी समाज की ओर से तन, मन व धन की सेवा इसका उदाहरण है। यहां की कई प्रतिष्ठित संस्थाएं स्थानीय लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं। राजस्थानी समाज स्थानीय लोगों के कंधे से कंधा मिलाकर विकास को गति दे रहे हैं।
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साख के साथ विश्वास भी
रियल एस्टेट कारोबारी संजयकुमार बैद ने कहा कि कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में राजस्थानियों का १५ प्रतिशत से अधिक योगदान है। राजस्थानियों ने हर व्यवसाय में वर्चस्व कायम किया है। कोई भी सैक्टर राजस्थानियों से अछूता नहीं है। राजस्थानी प्रवासियों ने यहां उद्योग धंधों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार दिया है। व्यवसाय में मारवाड़़ी समाज को सबसे अधिक विश्वसनीय माना जाता है। इस कारण स्थानीय व्यापारी भी राजस्थानियों के साथ मिलकर व्यापार करने में ज्यादा भरोसा करते हैं। राजस्थानी समाज के लोग जन्म भूमि को एक नजर से देखते हुए कर्नाटक के विकास में योगदान कर रहे हैं।
जीतो केकेजी जोन के अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह सामर ने कहा कि राजस्थानी समाज कर्नाटक के विकास में अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है। कर्नाटक के व्यापार वृद्धि में छोटे से लेकर छोटे कार्य और लेकर बड़े से बड़े व्यापार में संजीदगी से अपनी भूमिका निभाई है। पिछले कई वर्षों का इतिहास देखा जाए तो व्यापार में आने के साथ राजस्थानियों की भूमिका कर्नाटक से जुडऩे की रही है। कर्नाटक प्रांत को राजस्थानियों ने अपनी कर्मभूमि माना है। यहां के लोगों के साथ में मिलजुलकर सेवा का परिचय भी दिया है। सेवा के कई प्रतिकों में देखा जाए तो गत कोरोना काल में जब लोग घर के दरवाजे पर आने से भी कतराते थे। उस समय राजस्थानी प्रवासियों ने जान की परवाह किए बिना कर्नाटक के भाइयों की सेवा के लिए कई कदम उठाए। उपचार के लिए अस्पताल खोले, घर-घर राशन व खाने के पैकेट भी वितरित किए।
दो सौ साल से ज्यादा पुराना है जुड़ाव
बिल्डर अनिलकुमार कोठारी ने कहा कि राजस्थानियों का कर्नाटक के विकास का दो सौ साल पुराना इतिहास है। राजस्थानियों ने उस समय कर्नाटक की धरती पर कदम रखा जब ट्रेन में नहीं थी। लोग ऊंट गाडिय़ों व बैलगाडिय़ों से महिनों का सफर करके पहुंचे थे। कर्नाटक के हर छोटे-बड़े शहर व गांव तक राजस्थानियों का निवास व काम काज भी है। विकास की दृष्टि से बात की जाए तो हर क्षेत्र में राजस्थानियों का योगदान है। स्थानीय लोगों के साथ दूध में शक्कर की तरह पूरी तरह मेल मिलाप है। राजस्थानी अब अपने आप को कर्नाटक का निवासी बताने लगे हैं। अक उनकी पहचान राजस्थान नहीं कर्नाटक हो गई है। राजस्थानी लोग यहां हर क्षेत्र में तन,मन और धन से सेवा कर रहे हैं। राजस्थानी प्रवासियों ने यहां अपने उद्योग धंधों में स्थानीय लोगों को रोजगार दिया है। वहीं राजनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं।
कंधे से कंधा मिलाकर कर रहे विकास
जीतो के कोषाध्यक्ष व सीए राजेश मेहता ने कहा कि कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में राजस्थानियों का करीब ३० प्रतिशत अंशदान है। कर्नाटका बड़ा उद्योग समूह व व्यापार राजस्थानियों के पास है। सामान्यत: राजस्थानी व्यापारी जीएसटी व आयकर नियमित रूप से देते हैं। उन्होंने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था में मूलत: राजस्थानी जैनियों का बड़ा योगदान है। इससे कर्नाटक अछूता नहीं है। कर्नाटक के विकास में राजस्थानियों का बहुत बड़ा योगदान है। इनमें विद्यालय, कॉलेज, अस्पताल तक राजस्थानियों की ओर संचालित किए जा रहे हैं। कोरोना जैसी महामारी, बाढ़ व किसी भी तरह की आपदा के समय राजस्थानी समाज हर समय सेवा के लिए तत्पर रहता है। कोरोना के दौरान राजस्थानी समाज की ओर से तन, मन व धन की सेवा इसका उदाहरण है। यहां की कई प्रतिष्ठित संस्थाएं स्थानीय लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं। राजस्थानी समाज स्थानीय लोगों के कंधे से कंधा मिलाकर विकास को गति दे रहे हैं।
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साख के साथ विश्वास भी
रियल एस्टेट कारोबारी संजयकुमार बैद ने कहा कि कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में राजस्थानियों का १५ प्रतिशत से अधिक योगदान है। राजस्थानियों ने हर व्यवसाय में वर्चस्व कायम किया है। कोई भी सैक्टर राजस्थानियों से अछूता नहीं है। राजस्थानी प्रवासियों ने यहां उद्योग धंधों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार दिया है। व्यवसाय में मारवाड़़ी समाज को सबसे अधिक विश्वसनीय माना जाता है। इस कारण स्थानीय व्यापारी भी राजस्थानियों के साथ मिलकर व्यापार करने में ज्यादा भरोसा करते हैं। राजस्थानी समाज के लोग जन्म भूमि को एक नजर से देखते हुए कर्नाटक के विकास में योगदान कर रहे हैं।