सूत्रों के मुताबिक रमेश जारकीहोली ने अपने समर्थकों के साथ एक बैठक कर लोकसभा चुनावों में बेलगावी तथा अन्य लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार नहीं करने का निर्णय किया था। तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे जल्द ही कोई निर्णय करेंगे। हालांकि, रमेश जारकीहोली के भाई और राज्य के वनमंत्री ने कहा कि कांग्रेस उन्हें निर्णय बदलने के लिए जोर नहीं देगी। भाजपा के एक नेता ने कहा कि रमेश जारकीहोली के कांग्रेस पार्टी छोडऩे की चर्चा लंबे समय से चली आ रही है। कांग्रेस उन्हें मनाने में नाकाम रही है। वे नाराज हैं।
उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था तो भी वे कैबिनेट की किसी बैठक में शामिल नहीं हुए। कांग्रेस उन्हें समझाने में विफल रही है और भाजपा इसमें कुछ नहीं कर सकती। यह उनका निजी निर्णय है। अगर वह भाजपा में शामिल होना चाहते हैं तो आलाकमान उसपर निर्णय करेगा।
दरअसल, रमेश जारकीहोली पार्टी से लंबे अर्से से नाराज चल रहे हैं। पिछले जनवरी महीने में कांग्रेस के विधायकों के गायब होने के दौरान भी उनकी खूब चर्चा हुई। रमेश जारकीहोली सहित अन्य विधायकों की नाराजगी के कारण एक समय सरकार संकट में आ गई थी और बजट के दिन सरकार गिरने की अटकलें रही।
भाजपा के नेताओं का कहना है कि अगर रमेश जारकीहोली कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आते हैं तो अपने साथ 10 से 15 विधायकों को लेकर आएंगे। अगर ऐसा होता है तो गठबंधन सरकार गिर भी सकती है। लोकसभा चुनावों के बाद कई चीजें अपने-आप बदलेंगी।