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जून में रिकॉर्ड बारिश लेकिन आधे कर्नाटक को बारिश का इंतजार

locationबैंगलोरPublished: Jun 30, 2018 09:38:32 pm

Submitted by:

Sanjay Kumar Kareer

राज्य के 30 में से मात्र 14 जिलों में हुई सामान्य बारिश
चार दिनों बाद तटीय और मलनाड क्षेत्र में थमी बारिश

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जून में रिकॉर्ड बारिश लेकिन आधे कर्नाटक को बारिश का इंतजार

बेंगलूरु. जून महीने में राज्य में औसत से 25 फीसदी ज्यादा बारिश होने के बाद भी राज्य के आधे से ज्यादा जिलों में औसम से कम बारिश हुई है। इस बीच चार दिनों की मूसलाधार बारिश के बाद शनिवार को तटीय और मलनाड क्षेत्र के जिलों को बारिश से राहत मिली।
उडुपी, दक्षिण कन्नड़, उत्तर कन्नड़, शिवमोग्गा, कोडग़ु, चिक्कमगलूरु आदि जिलों में भारी बारिश से कई जगह भूस्खलन, जलजमाव आदि के कारण जनजीवन अस्त वयस्त हो गया था लेकिन पिछले 24 घंटे में बारिश में कमी के बाद शनिवार को स्कूल और कॉलेज खुले तथा राहत कार्य तेज किए गए हैं।
हालंाकि मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इन जिलों में अगले 48 घंटों के दौरान भारी बारिश हो सकती है। वहीं बारिश में आई कमी के बाद भी कावेरी, नेत्रावती सहित इस क्षेत्र की सभी छोटी बड़ी नदियां उफान पर हैं। नदी के किनारे वाले क्षेत्रों और जलाशयों के करीब निचले इलाकों में बसे कई गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है।
मानसून आने के बाद से राज्य के कई क्षेत्रों में भारी बारिश हुई लेकिन उत्तर अंदरूनी कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक और बेंगलूरु सहित दक्षिण अंदरुनी कर्नाटक में औसत या उससे भी कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के अुनसार जून महीने में राज्य के 30 में से 14 जिलों में सामान्य बारिश हुई है। राज्य में 27 जून तक सामान्य 162.4 मिमी बारिश की तुलना में 202.3 मिमी बारिश हुई है। वर्ष-2011 के बाद यह पहला मौका है जब मानसून के शुरूआती महीने में राज्य में औसत से 25 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। वहीं मार्च से अब तक बारिश जनित हादसों में 119 लोगों की मौत हुई है।

वर्ष-2011 से सूखा प्रभावित राज्य में पिछले छह वर्ष के दौरान हर साल राज्य में मानसून की बारिश ने धोखा दिया है। वर्ष 2011-12 में 30 में से 24 जिले, वर्ष 2012-13 में 26 जिले, 2013-14 में 22 जिले और वर्ष 2014-15 में नौ जिले सूखा प्रभावित रहे थे। हालंाकि इस बार उम्मीद है कि राज्य में सूखे की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी लेकिन अगर समय अनुरूप सभी जिलों में बारिश नहीं हुइै तो कृषि गतिविधियों पर असर पड़ेगा।

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