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धर्म जागृति का संदेश देता है पर्युषण

locationबैंगलोरPublished: Sep 08, 2018 01:02:00 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

इटा गार्डन स्थित जैन स्थानक में धर्म आराधना

dharm karm

धर्म जागृति का संदेश देता है पर्युषण

बेंगलूरु. इटा गार्डन स्थित जैन स्थानक में गुरुवार को ऋषि मुनि ने पर्युषण कल्प के संबंध में कहा कि पर्युषण जैन धर्म का महापर्व है, जो प्रतिवर्ष हमें धर्म जागृति का संदेश देने को आता है। लोगों को चाहिए कि वे प्रमाद का त्याग करके धर्म के प्रति समर्पित हों और धर्म लाभ कमाएं। उन्होंने कहा कि संसार के लिए तो सब ही खून पसीना बहाते हैं पर सार्थ जीवन उनका जो धर्म के लिए समय देते हैं और जीवन को इस भांति दिव्यता प्रदान करते हैं। पर्युषण पर्व के इन आठ दिनों में हम सब त्याग, तप, प्रत्याख्यान, जप, स्वाध्याय से स्वयं को शुद्ध करें। आंतरिक शुद्धता धर्म प्रभावना का प्रमुख कारण है। लोग धर्म शांति, सद्भाव,समता प्राप्त करने के लिए करते हैं इसलिए जीवन में धर्म कमाएं और शांति भी कमाएं। पर्युषण पर्व में सुनाई जाने वाली अंतकृत केवलियों की पवित्र कथा मुख्य आकर्षण हैं जिनके पवित्र त्याग पूर्ण जीवन से हम सभी को अनन्त प्रेरणाएं मिलती हैं। उनके मचन जीवन से हम भी दिव्यता की प्रेरणा लें, जीवन सफल बनाएं। संचालन विकास समदडिय़ा ने किया।
शास्त्र, मंदिर, तीर्थ और पर्व धर्म के आधार
बेंगलूरु. शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा क आठ दिनों के पवित्र पर्युषण का शुभारंभ हुआ है। सभी का मन आज पुलकित और पवित्र है। सभी के मन में आज अत्यधिक आनंद झलक रहा है। आज सभी हर कोई धर्मभावना से भरे भरे दिख रहे हैं। आज हर दिल श्रद्धा दीपकों से आलोकित है। वर्ष भर किया तप धर्म आराधना में नहीं जुडऩे वाले भी आज से ही तन मन धन से उल्लासपूर्वक लग गए हैं। भारत के साथ विदेशों में बस रहे संघ के सदस्यों के भीतर भी एक अलग ही उमंग और धर्मभाव के आचारों विचारों का महासागर उमड़ेगा। प्रत्येक धर्म का आधार शास्त्र, मंदिर, तीर्थ और पर्व है। इन चारों के बिना धर्म आगे नहीं बढ़ सकता। ये चारों ही धर्म की मूलभूत नींव के समान है।
आत्म परीक्षण का पर्व है पर्युषण
बेंगलूरु. शंखेश्वर पाŸवनाथ जैन संघ राजाजीनगर में आचार्य मुक्तिसागर सूरी ने कहा कि पर्युषण यह आत्मशुद्धि और आत्म सिद्धि का महापर्व है। उन्होंने कहा कि संसार के जंगल में तो हम सदा ही भटकते रहते हैं। पर्युषण पर्व की साधना से हमें आत्म सिद्धि के महल में जाना है। यह पर्व तो आत्म निरीक्षण और आत्म परीक्षण का महापर्व है। पर्युषण कोई भय लोभ या विस्मय से आराधे जाने वाला पर्व नहीं वरन आत्मशुद्धि के एकमात्र लक्ष्य से मनाया जाने वाला महापर्व है।

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