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धर्म हमें मैत्री भाव सिखाता है-आचार्य महेन्द्र सागर

locationबैंगलोरPublished: Aug 05, 2021 08:39:54 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्म सभा का आयोजन

धर्म हमें मैत्री भाव सिखाता है-आचार्य महेन्द्र सागर

धर्म हमें मैत्री भाव सिखाता है-आचार्य महेन्द्र सागर

बेंगलूरु. महावीर स्वामी जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ त्यागराज नगर में विराजित आचार्य महेंद्रसागर सूरी ने कहा कि धर्म से सर्व जीव प्रेम व विश्व शांति की भावना मन में उमड़ती है। धर्म हमें यही सिखाता है कि सभी से मैत्री भाव रखो, किसी से भी वैर विरोध मत रखो। महापुरुषों का यही कथन रहा है कि स्व के सीमित दायरे से बाहर निकलिए और दिल को दरियादिल बनाकर विश्व कल्याण की भावना पैदा कीजिए। धर्म केवल मोक्ष का ही नहीं अपितु सामाजिक व पारिवारिक व्यवस्था का भी साधन है। धर्म उपदेश का ही नहीं आचरण का भी साधन है। सिर्फ किताबों का ही नहीं व्यवहार का विषय है। धर्म वर्तमान समाज की सभी विद्यमान एवं संभावित समस्याओं का एकमात्र साधन है। धर्म कहता है कि किसी को कष्ट नहीं देना है,हानि नहीं पहुंचानी है। बुजुर्ग और पुरुखों का आदर करना, उनकी आज्ञा माननी। कमजोर और रोगियों की मदद करनी। सभी जीवों पर प्रेम सद्भाव रखना उन्हें दुख पहुंचे वैसा कुछ भी नहीं करना। धार्मिक व्यक्ति के लिए सभी को अहो भाव होता है जिससे धर्मी को सुख होता है। धर्मी सभी का माननीय आदरणीय और चहेता बनता है। धर्मी व्यक्ति सम्मान अभिनंदन का पात्र बनता है। अगर हृदय पर हो प्रभु का आसन, मन पर हो धर्म का शासन तो जीवन सदा बना रहता है पावन। इस अवसर पर मुनि राज पद्मासागर ने कहा कि अपने दोषों को विलीन करना हो तो देव गुरु और धर्म में हमें लीन बनना होगा।
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